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राहुल तोमर की कविताएँ
प्रतीक्षा
उसकी पसीजी हथेली स्थिर है
उसकी उँगलियाँ किसी
बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं
उसका निचला होंठ
दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर
जागने को विकल लेटा हुआ...
जीवन बचा है अभी
जीवन बचा है अभी
ज़मीन के भीतर नमी बरक़रार है
बरक़रार है पत्थर के भीतर आग
हरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है!
जीवन बचा है अभी
रोशनी...
सोलेस इन मे
कौन आएगा मई में सांत्वना देने
कोई नहीं आएगा
समय ने मृत्यु का स्वांग रचा है
अगर कोई न आए तो
बारिश तुम आना
आँसुओं की तरह
दो-चार बूँदों की...
निर्जला उपवास
वे सब 'सौभाग्यवती हो' का आशीष पाना चाहती हैं
मन पर पड़ी गाँठों को रेशमी कपड़ों से सजा रही हैं
और रेशमी कपड़े अपना सौभाग्य बता...
आशा अमरधन
समन्दर गहरा कि आशा गहरी। धरती भारी कि आशा भारी। पहाड़ अविचल कि आशा अविचल। फूल हलका कि आशा हलकी। हवा सत्वर कि आशा...
उम्मीद
'Ummeed', a poem by Akhileshwar Pandey
रेत नदी की सहचर है
जो पत्ते चट्टानों पर गिरकर सूख रहे होते हैं
उन्हें अकेलेपन का नहीं,
हरेपन से बिछुड़ने का दुःख सता...
एक शहर का आशावाद
'Ek Shehar Ka Ashavad', a poem by Nirmal Gupt
मैं हमेशा उस महानगर में जाकर
रास्ते भूल जाता हूँ
जिसके बारे में यह कहा जाता है
कि वह...
उम्मीद बाक़ी है
होश सम्भालते ही
धरा के हर हिस्से के बाबत
मुझे यही ताकीद किया गया कि
"हर रोज़ सूरज के डूबने का अर्थ, घर लौट आना है
उसके बाद किसी...
उम्मीद
'Ummeed', a poem by Paritosh Kumar Piyush
(एक)
तुम्हारी यादों को ओढ़ता हूँ
तुम्हारी यादों को बिछाता हूँ
अपने लिहाफ़ में छोड़ रखता हूँ
तुम्हारे हिस्से की पूरी जगह
तुम्हारी चुप्पी...
मैं नहीं चाहता
'Main Nahi Chahta', a poem by Amar Dalpura
मैं नहीं चाहता
सूरज निकलते ही दुनिया के शोर में
चिड़ियों की चहक मर जाए।
सभी पक्षी
सुबह का स्वागत करते...
उम्मीद अब भी बाकी है
"तुम्हारी माँ उतनी बुरी नहीं है", बाबा ने उस दिन शाम में कहा, "अभी भी वह हमसे उतना ही प्यार करती है, दो-चार रुपये के लिए उस पंजाबी से सम्बन्ध बनाया हो, यह अलग बात है।"
आशा का अन्त
"माई लार्ड! अबके आपके भाषण ने नशा किरकिरा कर दिया। संसार के सब दुःखों और समस्त चिन्ताओं को जो शिवशम्भु शर्मा दो चुल्लू बूटी पीकर भुला देता था, आज उसका उस प्यारी विजया पर भी मन नहीं है।"