Tag: Housewife
कविताएँ: अगस्त 2020
सुनो मछुआरे
सुनो मछुआरे
जितने जुगनू
तुम्हारी आँखों में
चमक रहे हैं न
टिम-टिम
तारों के जैसे,
वे क्या
हमेशा चमकते रहते हैं
इसी तरह?सुनो मछुआरे
जब तुम
जाल फेंकते हो
सागर में,
तुम्हारी बाँहों की मछलियाँ
मचल-मचल...
घर में अकेली औरत के लिए
तुम्हें भूल जाना होगा समुद्र की मित्रता
और जाड़े के दिनों को
जिन्हें छल्ले की तरह अँगुली में पहनकर
तुमने हवा और आकाश में उछाला था,
पंखों में बसन्त...
आत्मसंतुष्टि
और फिर
एक समय के पश्चात
इच्छाओं का रक्तबीज
स्वयं करने लगता है
अवसाद की उल्टियाँसफलता का महिषासुर
पैरों तले रौंद दिया जाता है
परिवार, प्यार, समाज, उत्तरदायित्व,
लोक-लज्जा, संशय, उपेक्षा...
बोलनेवाली औरत
"कल छोले बनेंगे?""जी छोले बनेंगे।""पाजामों के नाड़े बदले जाने चाहिए।""हाँ जी, पाजामों के नाड़े बदले जाने चाहिए।"