Tag: Human

Bhagwat Rawat

मनुष्य

दिखते रहने के लिए मनुष्य हम काटते रहते हैं अपने नाख़ून छँटवाकर बनाते-सँवारते रहते हैं बाल दाढ़ी रोज़ न सही तो एक दिन छोड़कर बनाते ही रहते हैं जो...
Man Bahadur Singh

आदमी का दुःख

राजा की सनक ग्रहों की कुदृष्टि मौसमों के उत्पात बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु, शत्रु, भय प्रिय-बिछोह कम नहीं हैं ये दुःख आदमी पर! ऊपर से जब घर जलते हैं तो आदमी के दिन...
Rahul Boyal

मेरा दावा

'Mera Dawa', a poem by Rahul Boyal मनुष्य होने का मेरा दावा ख़ारिज हो गया देवता तो मैं किसी क़ीमत पर न था पशु होने की विचारधारा कभी...
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