Tag: Humanity

Naomi Shihab Nye

नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘प्रसिद्ध’

नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन...
Hungry, Poor

अहमद नियाज़ रज़्ज़ाक़ी की नज़्में

अब अब कहाँ है ज़बान की क़ीमत हर नज़र पुर-फ़रेब लगती है हर ज़ेहन शातिराना चाल चले धड़कनें झूठ बोलने पे तुलीं हाथ उठते हैं बेगुनाहों पर पाँव अब रौंदते...
Bhagwat Rawat

मनुष्य

दिखते रहने के लिए मनुष्य हम काटते रहते हैं अपने नाख़ून छँटवाकर बनाते-सँवारते रहते हैं बाल दाढ़ी रोज़ न सही तो एक दिन छोड़कर बनाते ही रहते हैं जो...
Nida Fazli

आदमी की तलाश

अभी मरा नहीं, ज़िन्दा है आदमी शायद यहीं कहीं उसे ढूँढो, यहीं कहीं होगा बदन की अंधी गुफा में छुपा हुआ होगा बढ़ा के हाथ हर इक रौशनी...
Mangalesh Dabral

मैं चाहता हूँ

मैं चाहता हूँ कि स्पर्श बचा रहे वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ आततायी की तरह गुज़रता है बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद धरती के...
Gopaldas Neeraj

प्यार की कहानी चाहिए

आदमी को आदमी बनाने के लिए ज़िन्दगी में प्यार की कहानी चाहिए और कहने के लिए कहानी प्यार की स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए। जो भी कुछ...
Gopaldas Neeraj

आदमी को प्यार दो

सूनी-सूनी ज़िन्दगी की राह है भटकी-भटकी हर नज़र-निगाह है राह को सँवार दो निगाह को निखार दो आदमी हो तुम कि उठो, आदमी को प्यार दो। दुलार दो। रोते हुए...
Dream

अबकी बार जो मिलोगे

मेरी भाषा अलग है तुम्हारी भाषा अलग है, जम्मू से आती हुई गद्दी जनजातियों की चीख़ें लद्दाख की मूक बर्फ़ से ढकी पहाड़ियों को चीरती आदिवासियों की पीर दोनों ने ही महसूस...
Teesri Kavita Ki Anumati Nahi - Sudarshan Sharma, Woman

तरकीबें

मनुष्य बने रहने की ज़्यादा तरकीबें नहीं बची हैं मेरे पास बस मैं कभी-कभी गैंतियों तले गिड़गिड़ाती ज़िन्दगियों पर रो लेती हूँ या फिर ये कि मृत्यु का भौंडा...
Adarsh Bhushan

मनुष्यता की होड़

ग्रीष्म से आकुल सबसे ज़्यादा मनुष्य ही रहा ताप न झेला गया तो पहले छाँव तलाशी फिर पूरी जड़ से ही छाँव उखाड़ ली विटप मौन में अपनी हत्या के मूक साक्षी...
Bhagwat Rawat

वे इसी पृथ्वी पर हैं

इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर कच्छपों की तरह धारण किए हुए हैं बचाए...
Manjula Bist

संक्रमण-काल

1 आज हर देश का शव नितान्त अकेला है हर देश का जीवित-भय एक है एक है धरती एक है आकाश एक है पानी का रंग एक ही स्वाद है आँसू का एक है...
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