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नेओमी शिहैब नाय की कविता ‘प्रसिद्ध’
नेओमी शिहैब नाय (Naomi Shihab Nye) का जन्म सेंट लुइस, मिसौरी में हुआ था। उनके पिता एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी थे और उनकी माँ जर्मन...
अहमद नियाज़ रज़्ज़ाक़ी की नज़्में
अब
अब कहाँ है ज़बान की क़ीमत
हर नज़र पुर-फ़रेब लगती है
हर ज़ेहन शातिराना चाल चले
धड़कनें झूठ बोलने पे तुलीं
हाथ उठते हैं बेगुनाहों पर
पाँव अब रौंदते...
मनुष्य
दिखते रहने के लिए मनुष्य
हम काटते रहते हैं अपने नाख़ून
छँटवाकर बनाते-सँवारते रहते हैं बाल
दाढ़ी रोज़ न सही तो एक दिन छोड़कर
बनाते ही रहते हैं
जो...
आदमी की तलाश
अभी मरा नहीं, ज़िन्दा है आदमी शायद
यहीं कहीं उसे ढूँढो, यहीं कहीं होगा
बदन की अंधी गुफा में छुपा हुआ होगा
बढ़ा के हाथ
हर इक रौशनी...
मैं चाहता हूँ
मैं चाहता हूँ कि स्पर्श बचा रहे
वह नहीं जो कंधे छीलता हुआ
आततायी की तरह गुज़रता है
बल्कि वह जो एक अनजानी यात्रा के बाद
धरती के...
प्यार की कहानी चाहिए
आदमी को आदमी बनाने के लिए
ज़िन्दगी में प्यार की कहानी चाहिए
और कहने के लिए कहानी प्यार की
स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए।
जो भी कुछ...
आदमी को प्यार दो
सूनी-सूनी ज़िन्दगी की राह है
भटकी-भटकी हर नज़र-निगाह है
राह को सँवार दो
निगाह को निखार दो
आदमी हो तुम कि उठो, आदमी को प्यार दो।
दुलार दो।
रोते हुए...
अबकी बार जो मिलोगे
मेरी भाषा अलग है
तुम्हारी भाषा अलग है,
जम्मू से आती हुई
गद्दी जनजातियों की चीख़ें
लद्दाख की मूक बर्फ़ से
ढकी पहाड़ियों को चीरती
आदिवासियों की पीर
दोनों ने ही महसूस...
तरकीबें
मनुष्य बने रहने की ज़्यादा तरकीबें नहीं बची हैं मेरे पास
बस मैं कभी-कभी
गैंतियों तले गिड़गिड़ाती ज़िन्दगियों पर रो लेती हूँ
या फिर ये
कि मृत्यु का भौंडा...
मनुष्यता की होड़
ग्रीष्म से आकुल सबसे ज़्यादा
मनुष्य ही रहा
ताप न झेला गया तो
पहले छाँव तलाशी
फिर पूरी जड़ से ही छाँव उखाड़ ली
विटप मौन में
अपनी हत्या के
मूक साक्षी...
वे इसी पृथ्वी पर हैं
इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर
जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर
कच्छपों की तरह धारण किए हुए हैं
बचाए...
संक्रमण-काल
1
आज
हर देश का शव नितान्त अकेला है
हर देश का जीवित-भय एक है
एक है धरती
एक है आकाश
एक है पानी का रंग
एक ही स्वाद है आँसू का
एक है...