Tag: Kashinath Singh
तीन काल-कथा
अकाल
यह वाक़या दुद्धी तहसील के एक परिवार का है।
पिछले रोज़ चार दिनों से ग़ायब मर्द पिनपिनाया हुआ घर आता है और दरवाज़े से आवाज़ देता...
सुख
कहानी का शीर्षक 'सुख' है, लेकिन कहानी के नायक को शिकायत है कि उसका दुःख कोई नहीं समझता। ऐसा क्यों, पढ़िए काशीनाथ सिंह की इस अलग मिज़ाज की कहानी में! :)
जंगलजातकम्
"हे भद्र, हमारे पूर्वजों और मनुष्यों का बड़ा ही अंतरंग संबंध रहा है। उनके लिए हम अपने पुष्प, अपने बीच छिपी सारी संपदा, कंद-मूल, फल, पशु-पक्षी सब कुछ निछावर कर चुके हैं और आज भी करने के लिए प्रस्तुत हैं। विश्वास करें, शुरू से ही कुछ ऐसा नाता रहा है कि हमें भी उनके बिना खास अच्छा नहीं लगता। जवाब में उन्होंने भी हमें भरपूर प्यार दिया है। लेकिन आप? ...हमें संदेह है कि आप मनुष्य हैं!"