Tag: Kids Poem in Hindi

Aarsi Prasad Singh

सैर सपाटा

'Sair Sapata', Hindi Poem for Kids by Aarsi Prasad Singh कलकत्ते से दमदम आए बाबू जी के हमदम आए हम वर्षा में झमझम आए बर्फी, पेड़े, चमचम लाए। खाते-पीते...
Bird, Window

यदि मैं भी चिड़िया बन पाता

यदि मैं भी चिड़िया बन पाता! तब फिर क्या था रोज़ मजे़ से, मैं मनमानी मौज उड़ाता! नित्य शहर मैं नए देखता, आसमान की सैर लगाता! वायुयान की सी...
Shridhar Pathak

बिल्ली के बच्चे

बिल्ली के ये दोनों बच्चे, कैसे प्यारे हैं, गोदी में गुदगुदे मुलमुले लगें हमारे हैं। भूरे-भूरे बाल मुलायम, पंजे हैं पैने, मगर किसी को नहीं खौसते, दो...

मच्छर का ब्याह

मच्छर बोला- "ब्याह करूँगा मैं तो मक्खी रानी से" मक्खी बोली- "जा-जा पहले मुँह तो धो आ पानी से! ब्याह करूँगी मैं बेटे से धूमामल हलवाई के, जो दिन-रात मुझे...
Kites

सीख ले भैया

डोरी को तू ढील दे भैया पतंग जोर से खींच ले भैया। रंग बिरंगी पतंग उड़ रहीं पेंच लड़ाना सीख ले भैया। जाड़ा बहुत कड़क पड़ा है मन को...
Shridhar Pathak

उठो भई उठो

हुआ सवेरा जागो भैया, खड़ी पुकारे प्यारी मैया। हुआ उजाला छिप गए तारे, उठो मेरे नयनों के तारे। चिड़िया फुर-फुर फिरती डोलें, चोंच खोलकर चों-चों बोलें। मीठे बोल सुनावे मैना, छोड़ो...
Lollipop, Food

बड़ा मजा आता

रसगुल्लों की खेती होती, बड़ा मज़ा आता। चीनी सारी रेती होती, बड़ा मज़ा आता। बाग़ लगे चमचम के होते, बड़ा मज़ा आता। शरबत के सब बहते सोते, बड़ा मज़ा आता। चरागाह हलवे का होता, बड़ा...
Prabhakar Machwe

चूहा सब जान गया है

बिल्ली आँखें मींचे बैठी, होंठ जरा से भींचे बैठी, दुबली-सी वह पीछे बैठी, साँस मजे़ से खींचे बैठी, पर चूहा सब जान गया है, दुश्मन को पहचान गया है, चाल...
School Kids, School Children

पास हुए हम हुर्रे-हुर्रे

पास हुए हम, हुर्रे-हुर्रे! दूर हुए गम, हुर्रे-हुर्रे! रोज नियम से, किया परिश्रम और खपाया भेजा। धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा हर दिन ज्ञान सहेजा। थके नहीं हम, हुर्रे-हुर्रे! हम कछुआ ही सही चले...
Dwarika Prasad Maheshwari

चंदा मामा, आ!

चंदा मामा, आ जाना, साथ मुझे कल ले जाना कल से मेरी छुट्टी है ना आये तो कुट्टी है। चंदा मामा खाते लड्डू, आसमान की थाली...
Ramdhari Singh Dinkar

टेसू राजा अड़े खड़े

'Tesu Raja Ade Khade' Ramdhari Singh Dinkar टेसू राजा अड़े खड़े माँग रहे हैं दही बड़े। बड़े कहाँ से लाऊँ मैं? पहले खेत खुदाऊँ मैं, उसमें उड़द उगाऊँ मैं, फसल काट...
Maithili Sharan Gupt

सरकस

होकर कौतूहल के बस में, गया एक दिन मैं सरकस में। भय-विस्मय के खेल अनोखे, देखे बहु व्यायाम अनोखे। एक बड़ा-सा बंदर आया, उसने झटपट लैम्प जलाया। डट कुर्सी पर...
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