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मेरी दस्तक
यह दस्तक हत्यारे की है
दूर किसी घर में उठी चीख़ों के बाद।
हर तरफ़ दम साधे
घरों के निहत्थे सन्नाटे भर हैं
हुआ क्या आख़िर
कि चीख़ों के इस संसार...
टारगेट किलिंग
चूड़ी वाले के यहाँ
मैं अभी स्टूल पर बैठी ही थी
साथ की दुकान के आगे इक स्कूटर रुका
गोली चली
सब ने फ़क़ चेहरों के साथ
मुड़के देखा
एक लम्हे...
अनरेपोर्टेड किलिंग
एक चौकोर सी जगह में
फूलों के बीच सजी हुई है
उसकी तस्वीर
उसकी तस्वीर जो खुर्ची जाए
तो अब भी बोल उठेगी
उनके खिलाफ जिन्होंने हार चढ़ाया है
काफी...
रामदास
"चौड़ी सड़क गली पतली थी
दिन का समय घनी बदली थी
रामदास उस दिन उदास था
अंत समय आ गया पास था
उसे बता यह दिया गया था उसकी हत्या होगी.."
देश के शासन तंत्र की कमजोरी और भ्रष्टाचार को उजागर करती यह कविता, हिन्दी की सबसे सशक्त कविताओं में से एक है.. राजनीती और प्रशासन पर जैसा रघुवीर सहाय ने लिखा, अन्यत्र इतनी आसानी से नहीं मिलता.. ज़रूर पढ़िए!