Tag: Krishna Bihari Noor
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे
ग़म का तूफ़ाँ तो बहुत तेज़ था, ठहरा कैसे
हर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ
मिलना चाहूँ...
आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें
आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें
और फिर मानना पड़ता है ख़ुदा है मुझमें
अब तो ले दे के वही शख़्स बचा है...
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है, पता ही नहीं
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं
ज़िन्दगी,...