Tag: Mahadev Toppo
रूपांतरण
जब तक थे वे
जंगलों में
मांदर बजाते, बाँसुरी बजाते
करते जानवरों का शिकार
अधनंगे शरीर
वे बहुत भले थे
तब तक उनसे अच्छा था नहीं दूसरा कोई
नज़रों में तुम्हारी
छब्बीस...
प्रश्नों के तहख़ानों में
'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' सेदेखता हूँ
पहाड़ से उतरकर
आकर शहर
हर कोई मेरी ख़ातिर
कुछ-न-कुछ करने में है व्यस्त
कोई लिख रहा है—
हमारी लड़खड़ाती ज़िन्दगी के बारे में
पी. साईनाथ...