Tag: Melancholy

Melancholy, Sadness, Night

लाखन सिंह की कविताएँ

1 जीना किसी सड़ी लाश को खाने जैसा हो गया है, हर एक साँस के साथ निगलता हूँ उलझी हुई अंतड़ियाँ, इंद्रियों से चिपटा हुआ अपराधबोध घिसटता है माँस के लोथड़े...
Melancholy, Sadness

आषाढ़ की भरी दोपहरी में लिखी एक उदास कविता

दर्द याद रहता है ख़ुशी गुम हो जाती है दंश विस्मृत नहीं होता स्पर्श में से बचा रह जाता है उतना हिस्सा जो रह जाता है उँगलियों पर चिपककर। भूख...
Ankita Verma

हताशा का अरण्य

हताशा का अरण्य बहुत ही घना होता है वहाँ का हर पेड़ एक-सी शक्ल का लगता है कोई अगर अलग दिखता है तो वह हम ख़ुद। उस...
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