Tag: memories

Amrita Pritam

याद

आज सूरज ने कुछ घबराकर रोशनी की एक खिड़की खोली बादल की एक खिड़की बन्द की और अँधेरे की सीढ़ियाँ उतर गया आसमान की भवों पर...
Gaurav Bharti

कविताएँ : जुलाई 2020

माँ ने नहीं देखा है शहर गुज़रता है मोहल्ले से जब कभी कोई फेरीवाला हाँक लगाती है उसे मेरी माँ माँ ख़रीदती है रंग-बिरंगे फूलों की छपाई वाली चादर और...
Prabhat

‘जीवन के दिन’ से कविताएँ

कविता संग्रह: 'जीवन के दिन' - प्रभात चयन व प्रस्तुति: अमर दलपुरा याद मैं ज़मीन पर लेटा हुआ हूँ पर बबूल का पेड़ नहीं है यहाँ मुझे उसकी याद...
Nirmal Gupt

स्मृति का अस्तबल

'Smriti Ka Astbal', a poem by Nirmal Gupt स्मृति के अस्तबल में हिनहिना रहे हैं बीमार, अशक्त और उदास घोड़े अतीत की सुनहरी पन्नी में लिपटे इन घोड़ों...
Gaurow Gupta

स्मृतियों की जेल से एक क़ैदी का ख़त

मेरी उदासी में, तुम ऊष्मा थी ठिठुरती ज़िन्दगी की उम्मीद जिस पर मैं अपना मन सेंकता था... तुम्हारी मौजूदगी मेरे बहुत अकेलेपन को किसी जादू की तरह, कम अकेलेपन में...
Harshita Panchariya

स्मृतियाँ, आग

Poems: Harshita Panchariya स्मृतियाँ देह के संग्रहालय में स्मृतियाँ अभिशाप हैं और यह जानते हुए भी मैं स्मृतियों की शृंखला जोड़ने में लगी हूँ सम्भवतः 'जोड़ने की कोशिश' तुम्हें भुलाने की क़वायद में एकमात्र...
Harshita Panchariya

भ्रम

स्मृतियों में सहेजने के तौर पर दिए गए सभी चुम्बन पीड़ा में ऐसे भ्रम बनाए रखते हैं, मानो आँख खुलते ही ईश्वर सामने नज़र आ जाएगा। यूँ बंद आँखों के...
Doodhnath Singh

सारे काम निपटाकर तुम्हें याद करने बैठा

सारे काम निपटाकर तुम्हें याद करने बैठा। फ़ुर्सत ही नहीं देते लोग तुम्हारे चेहरे पर नज़र टिकायी नहीं कि कोई आ गया 'क्या कर रहे हैं?' 'कुछ भी तो...
Rose, Love, Flower

स्मृतियों की धूप

'Smritiyon Ki Dhoop', a poem by Mridula Singh ऑटो के पीछे हिलते हुए पोस्टर की तरह तुम्हारा प्रेम समय की दहलीज़ पर डगमगाता-सा है तुम्हें पता है कि इससे विलग करती...
Prabhat Milind

बारिश के दिनों में नदी का स्मृति-गीत

'Barish Ke Dino Mein Nadi Ka Smriti Geet', Hindi Kavita by Prabhat Milind 1 स्वप्न में बहती है चौड़े पाट की एक नदी बेआवाज़ याद का कंकड़...
Prabhat

प्रभात की कविताएँ

क़स्बे का कवि वह कोई अधिकारी नहीं है कि लोग जी सर, हाँ सर कहते हुए काँपें उसके सामने नेता नहीं है कि इंसानों का समूह पालतू कुत्तों के...
Doors

पुराने मकान

'Purane Makaan', Hindi Kavita by Mukesh Prakash पुराने मकानों के किवाड़ मत खोलो सफ़ेद चादरों पे जमी धूल के नीचे दफ़न, तुम्हारी यादें अभी साँसें ले रही हैं... हिज़्र...
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