Tag: memories
अब वो घर नहीं है
पुराने घर की भीत पर
अभी भी लटका है
बाबा की देह से उतरा,
अन्तिम कुर्ता
नया घर, कोई घर नहीं होता
आँगन में बूढ़ा पीपल
अब भी खड़ा है
जो लिखता...
परिन्दे
"कभी-कभी मैं सोचता हूँ मिस लतिका, किसी चीज को न जानना यदि गलत है, तो जान-बूझकर न भूल पाना, हमेशा जोंक की तरह उससे चिपटे रहना, यह भी गलत है।"
विस्मृत यादें
हम उस दौर में है
जब सिकुड़ने लगती है याददाश्त
और
असंख्य शाप पीछा करते हैं
कितना आसाँ होता है
पलट कर विस्मृति का एलबम खोल
बिना जोखिम के
कहीं पर...
एक न-बुरा सा दिन
सबसे बुरे दिनों में आता है ख्याल
कि अब तक के सारे दिन नहीं थे इतने बुरे
ख्याल आता है कि इकहरे बुरे दिनों का होना...