Tag: Metered Poems
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी
मेरे माथे पे तेरा प्यार दमकता है अभी
मेरी साँसों में तेरा लम्स...
ओ समय के देवता, इतना बता दो
ओ समय के देवता! इतना बता दो—
यह तुम्हारा व्यंग्य कितने दिन चलेगा?
जब किया, जैसा किया, परिणाम पाया
हो गए बदनाम ऐसा नाम पाया,
मुस्कुराहट के नगर...
दर्द आएगा दबे पाँव
और कुछ देर में जब फिर मेरे तन्हा दिल को
फ़िक्र आ लेगी कि तन्हाई का क्या चारा करे
दर्द आएगा दबे पाँव लिए सुर्ख़ चराग़
वो जो...
सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है
सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती...
थके हुए कलाकार से
सृजन की थकन भूल जा देवता
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी!
अभी तो पलक में नहीं खिल सकी
नवल कल्पना की मधुर चाँदनी,
अभी अधखिली ज्योत्सना की...
घर
अब मैं घर में पाँव नहीं रखूँगा कभी
घर की इक-इक चीज़ से मुझको नफ़रत है
घर वाले सब के सब मेरे दुश्मन हैं
जेल से मिलती-जुलती...
हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है
हम नहीं खाते, हमें बाज़ार खाता है
आजकल अपना यही चीज़ों से नाता है
पेट काटा, हो गई ख़ासी बचत घर में
है कहाँ चेहरा, मुखौटा मुस्कुराता है
नाम...
गूँजे कूक प्यार की
जिस बरगद की छाँव तले रहता था मेरा गाँव
वह बरगद ख़ुद घूम रहा अब नंगे-नंगे पाँव।
रात-रात भर इस बरगद से क़िस्से सुनते थे
गली, द्वार, बाड़े...
नज़राना
तुम परेशान न हो, बाब-ए-करम वा न करो
और कुछ देर पुकारूँगा, चला जाऊँगा
उसी कूचे में जहाँ चाँद उगा करते हैं
शब-ए-तारीक गुज़ारूँगा, चला जाऊँगा
रास्ता भूल...
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बरात फूलों की
फूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की
आप का साथ, साथ...
तुम क्यों लिखते हो
तुम क्यों लिखते हो? क्या अपने अन्तरतम को
औरों के अन्तरतम के साथ मिलाने को?
अथवा शब्दों की तह पर पोशाक पहन
जग की आँखों से अपना रूप...
उट्ठो, मरने का हक़ इस्तेमाल करो
जीने का हक़ सामराज ने छीन लिया
उट्ठो, मरने का हक़ इस्तेमाल करो!
ज़िल्लत के जीने से मरना बेहतर है
मिट जाओ या क़स्र-ए-सितम पामाल करो!
सामराज के...