Tag: Metered Poems
हम दोनों हैं दुःखी
हम दोनो हैं दुःखी। पास ही नीरव बैठें,
बोलें नहीं, न छुएँ। समय चुपचाप बिताएँ,
अपने-अपने मन में भटक-भटककर पैठें
उस दुःख के सागर में, जिसके तीर...
तन के तट पर
तन के तट पर मिले हम कई बार, पर
द्वार मन का अभी तक खुला ही नहीं,
डूबकर गल गए हैं हिमालय, मगर
जल के सीने पे...
चाय-चक्रम्
एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाय।
दूध, दही, फल, अन्न, जल छोड़ पीजिए चाय॥
छोड़ पीजिए चाय, अमृत बीसवीं सदी का।
जग-प्रसिद्ध जैसे गंगाजल गंग...
मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़
गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म...
अँगूठा छाप नेता
चपरासी या क्लर्क जब करना पड़े तलाश,
पूछा जाता- क्या पढ़े, कौन क्लास हो पास?
कौन क्लास हो पास, विवाहित हो या क्वारे?
शामिल रहते हो या...
कोई ये कैसे बताए
'Koi Yeh Kaise Bataye', by Kaifi Azmi
कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यूँ है
वो जो अपना था वही और किसी का क्यूँ है
यही...
लुढ़कता पत्थर
'Ludhakta Patthar', by Qateel Shifai
रौशनी डूब गई चाँद ने मुँह ढाँप लिया
अब कोई राह दिखायी नहीं देती मुझको
मेरे एहसास में कोहराम मचा है लेकिन
कोई...
कंकावती
राजकमल चौधरी के कविता संग्रह 'कंकावती' से कविताएँ | Poems from 'Kankavati', a poetry collection by Rajkamal Chaudhary
समय के बीते हुए से
प्राप्त कर लेना...
दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें
दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें
चारों ओर खड़ी हैं। तुम चुपचाप खड़े हो
हाथ धरे छाती पर; मानो वहीं गड़े हो।
मुक्ति चाहते हो तो आओ धक्के मारें
और ढहा...
वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है
'Wahi Toota Hua Darpan Barabar Yaad Aata Hai' a ghazal by Ramavtar Tyagi
वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है
उदासी और आँसू का स्वयंवर...
सितारों से उलझता जा रहा हूँ
'Sitaron Se Ulajhta Ja Raha hoon'
a ghazal by Firaq Gorakhpuri
सितारों से उलझता जा रहा हूँ
शब-ए-फ़ुर्क़त बहुत घबरा रहा हूँ
तिरे ग़म को भी कुछ बहला...
आभास
Aabhas, a poem by Aarsi Prasad Singh
मेरी साँसों से शूल छिला करते हैं,
दुख भी मेरे अनुकूल मिला करते हैं।
आँसू से मेरे हरी धरा की...