Tag: Metered Poems

Trilochan

हम दोनों हैं दुःखी

हम दोनो हैं दुःखी। पास ही नीरव बैठें, बोलें नहीं, न छुएँ। समय चुपचाप बिताएँ, अपने-अपने मन में भटक-भटककर पैठें उस दुःख के सागर में, जिसके तीर...
Kishor Kabra

तन के तट पर

तन के तट पर मिले हम कई बार, पर द्वार मन का अभी तक खुला ही नहीं, डूबकर गल गए हैं हिमालय, मगर जल के सीने पे...

चाय-चक्रम्

एकहि साधे सब सधे, सब साधे सब जाय। दूध, दही, फल, अन्न, जल छोड़ पीजिए चाय॥ छोड़ पीजिए चाय, अमृत बीसवीं सदी का। जग-प्रसिद्ध जैसे गंगाजल गंग...
Sahir Ludhianvi

मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़

हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म...
Kaka Hathrasi

अँगूठा छाप नेता

चपरासी या क्लर्क जब करना पड़े तलाश, पूछा जाता- क्या पढ़े, कौन क्लास हो पास? कौन क्लास हो पास, विवाहित हो या क्वारे? शामिल रहते हो या...
Kaifi Azmi

कोई ये कैसे बताए

'Koi Yeh Kaise Bataye', by Kaifi Azmi कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यूँ है वो जो अपना था वही और किसी का क्यूँ है यही...
Qateel Shifai

लुढ़कता पत्थर

'Ludhakta Patthar', by Qateel Shifai रौशनी डूब गई चाँद ने मुँह ढाँप लिया अब कोई राह दिखायी नहीं देती मुझको मेरे एहसास में कोहराम मचा है लेकिन कोई...
Rajkamal Chaudhary

कंकावती

राजकमल चौधरी के कविता संग्रह 'कंकावती' से कविताएँ | Poems from 'Kankavati', a poetry collection by Rajkamal Chaudhary समय के बीते हुए से प्राप्त कर लेना...
Trilochan

दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें

दीवारें दीवारें दीवारें दीवारें चारों ओर खड़ी हैं। तुम चुपचाप खड़े हो हाथ धरे छाती पर; मानो वहीं गड़े हो। मुक्ति चाहते हो तो आओ धक्‍के मारें और ढहा...
Ramavtar Tyagi

वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है

'Wahi Toota Hua Darpan Barabar Yaad Aata Hai' a ghazal by Ramavtar Tyagi वही टूटा हुआ दर्पण बराबर याद आता है उदासी और आँसू का स्वयंवर...
Firaq Gorakhpuri

सितारों से उलझता जा रहा हूँ

'Sitaron Se Ulajhta Ja Raha hoon' a ghazal by Firaq Gorakhpuri सितारों से उलझता जा रहा हूँ शब-ए-फ़ुर्क़त बहुत घबरा रहा हूँ तिरे ग़म को भी कुछ बहला...
Aarsi Prasad Singh

आभास

Aabhas, a poem by Aarsi Prasad Singh मेरी साँसों से शूल छिला करते हैं, दुख भी मेरे अनुकूल मिला करते हैं। आँसू से मेरे हरी धरा की...
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