Tag: Metered Poetry

Ramkumar Krishak

आज तो मन अनमना

आज तो मन अनमना गाता नहीं ख़ुद बहल औरों को बहलाता नहीं आदमी मिलना बहुत मुश्किल हुआ और मिलता है तो रह पाता नहीं ग़लतियों पर ग़लतियाँ करते...
Gorakh Pandey

मेहनतकशों का गीत

किसकी मेहनत और मशक़्क़त किसके मीठे-मीठे फल हैं? अपनी मेहनत और मशक़्क़त उनके मीठे-मीठे फल हैं! किसने ईंट-ईंट जोड़ी हैं किसके आलीशान महल हैं? हमने ईंट-ईंट जोड़ी हैं उनके आलीशान महल...
Hands, Love, Couple

मन के पास रहो

तन की दूरी क्या कर लेगी मन के पास रहो तुम मेरे देख रहा हूँ मैं धरती से दूर बहुत है चाँद बिचारा किन्तु कहा करता है मन...
Kedarnath Agarwal

धिक्कार है

आँख मूँद जो राज चलावै अंधरसट्ट जो काज चलावै कहे-सुने पर बाज न आवै सब का चूसै—लाज न लावै ऐसे अँधरा को धिक्कार! राम-राम है बारम्बार!! कानों में जो रुई...
Nasir Kazmi

दिल में इक लहर सी उठी है अभी

दिल में इक लहर-सी उठी है अभी कोई ताज़ा हवा चली है अभी कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी और ये चोट भी नई है अभी शोर...
Raghuvir Sahay

अरे, अब ऐसी कविता लिखो

अरे, अब ऐसी कविता लिखो कि जिसमें छन्द घूमकर आए घुमड़ता जाए देह में दर्द कहीं पर एक बार ठहराए कि जिसमें एक प्रतिज्ञा करूँ वही दो बार शब्द बन...
Ramkumar Krishak

दुख कहाँ से आ रहे बतलाइए

दुख कहाँ से आ रहे बतलाइए और कब तक जा रहे बतलाइए भूख कब से द्वार पर बैठी हुई आप कब से खा रहे बतलाइए काम से जो...
Farmer, Village, Ox, Cow, Field

हलधर धरती जोतो रे

हलधर धरती जोतो रे हलधर धरती जोतो रे आज धरा पे कष्ट बड़ा है अंत बड़ा नज़दीक खड़ा है उसका आना रोको रे हलधर धरती जोतो रे हलधर धरती जोतो...
Ali Sardar Jafri

निवाला

माँ है रेशम के कारख़ाने में बाप मसरूफ़ सूती मिल में है कोख से माँ की जब से निकला है बच्चा खोली के काले दिल में है जब...
Hands, Love, Couple

हम-तुम

जीवन कभी सूना न हो कुछ मैं कहूँ, कुछ तुम कहो। तुमने मुझे अपना लिया यह तो बड़ा अच्छा किया, जिस सत्य से मैं दूर था वह पास तुमने...
Akhtar ul Iman

आमादगी

एक-इक ईंट गिरी पड़ी है सब दीवारें काँप रही हैं अन-थक कोशिशें मेमारों की सर को थामे हाँफ रही हैं मोटे-मोटे शहतीरों का रेशा-रेशा छूट गया है भारी-भारी जामिद पत्थर एक-इक करके...
Harish Bhadani

ओ मेरे सब अपनो तुमसे

ओ मेरे सब अपनो तुमसे मुझे बग़ावत करनी होगी! अब तक जी ली गई उमर को मैंने तीखी धूप खिलायी, सूरज की सौगंध मुझे है मैंने भर-भर प्यास पिलायी, अब...
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