Tag: Metered Poetry
चाँद तन्हा है, आसमाँ तन्हा
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है...
कल से डोरे डाल रहा है
कल से डोरे डाल रहा है
फागुन बीच सिवान में,
रहना मुश्किल हो जाएगा
प्यारे बंद मकान में।
भीतर से खिड़कियाँ खुलेंगी
बौर आम के महकेंगे,
आँच पलाशों पर आएगी
सुलगेंगे...
हमारी ज़िन्दगी
हमारी ज़िन्दगी के दिन,
बड़े संघर्ष के दिन हैं।
हमेशा काम करते हैं,
मगर कम दाम मिलते हैं।
प्रतिक्षण हम बुरे शासन,
बुरे शोषण से पिसते हैं।
अपढ़, अज्ञान, अधिकारों से
वंचित...
तोड़ने से कुछ बड़ा है
बनाना तोड़ने से कुछ बड़ा है
हमारे मन को हम ऐसा सिखाएँ
गढ़न के रूप की झाँकी सरस है
वही झाँकी जगत को हम दिखाएँ
बखेरें बीज ज़्यादा...
अपनी धुन में रहता हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिछली रुत के साथी
अबके बरस मैं तन्हा हूँ
तेरी गली में सारा दिन
दुःख के कंकर चुनता...
ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें
ले उड़ा फिर कोई ख़याल हमें
साक़िया साक़िया सम्भाल हमें
रो रहे हैं कि एक आदत है
वर्ना इतना नहीं मलाल हमें
ख़ल्वती हैं तेरे जमाल के हम
आइने...
पूरा दुःख और आधा चाँद
पूरा दुःख और आधा चाँद
हिज्र की शब और ऐसा चाँद
दिन में वहशत बहल गई
रात हुई और निकला चाँद
किस मक़्तल से गुज़रा होगा
इतना सहमा-सहमा चाँद
यादों...
सचमुच बहुत देर तक सोए
सचमुच बहुत देर तक सोए!
इधर यहाँ से उधर वहाँ तक
धूप चढ़ गई कहाँ-कहाँ तक
लोगों ने सींची फुलवारी
तुमने अब तक बीज न बोए!
सचमुच बहुत देर...
गरमी में प्रातःकाल
मिलन यामिनी से
गरमी में प्रातःकाल पवन
बेला से खेला करता जब
तब याद तुम्हारी आती है।
जब मन से लाखों बार गया-
आया सुख सपनों का मेला,
जब मैंने घोर...
ऐसा हो स्कूल हमारा
जहाँ न बस्ता कंधा तोड़े
जहाँ न पटरी माथा फोड़े
जहाँ न अक्षर कान उखाड़ें
जहाँ न भाषा ज़ख़्म उभारे
ऐसा हो स्कूल हमारा!
जहाँ अंक सच-सच बतलाएँ
जहाँ प्रश्न हल...
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है, पता ही नहीं
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं
ज़िन्दगी,...
बैलगाड़ी
जा रही है गाँव की कच्ची सड़क से
लड़खड़ाती बैलगाड़ी!
एक बदक़िस्मत डगर से,
दूर, वैभवमय नगर से,
एक ही रफ़्तार धीमी,
एक ही निर्जीव स्वर से,
लादकर आलस्य, जड़ता...