Tag: Metered Poetry

Gorakh Pandey

अधिनायक वंदना

जन गण मन अधिनायक जय हे! जय हे हरित क्रान्ति निर्माता जय गेहूँ हथियार प्रदाता जय हे भारत भाग्य विधाता अंग्रेज़ी के गायक जय हे! जन गण मन अधिनायक जय...
Subhadra Kumari Chauhan

कोयल

देखो कोयल काली है पर मीठी है इसकी बोली, इसने ही तो कूक-कूककर आमों में मिश्री घोली। कोयल! कोयल! सच बतलाना क्या संदेसा लायी हो, बहुत दिनों के बाद आज...
Harivansh Rai Bachchan

आज़ादी के बाद

अगर विभेद ऊँच-नीच का रहा अछूत-छूत भेद जाति ने सहा किया मनुष्य औ’ मनुष्य में फ़रक़ स्वदेश की कटी नहीं कुहेलिका। अगर चला फ़साद शंख-गाय का फ़साद सम्प्रदाय-सम्प्रदाय का उलट न...
India Tricolor - Bharat Tiranga

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला प्रेम सुधा सरसाने वाला वीरों को हर्षाने वाला मातृ-भूमि का तन-मन सारा झण्डा ऊँचा रहे हमारा। स्वतंत्रता के भीषण...
Ahmad Faraz

ख़्वाबों के ब्योपारी

हम ख़्वाबों के ब्योपारी थे पर इसमें हुआ नुक़सान बड़ा कुछ बख़्त में ढेरों कालक थी कुछ अब के ग़ज़ब का काल पड़ा हम राख लिए हैं झोली...
Jaishankar Prasad

अरे कहीं देखा है तुमने

अरे कहीं देखा है तुमने मुझे प्यार करने वालों को? मेरी आँखों में आकर फिर आँसू बन ढरने वालों को? सूने नभ में आग जलाकर यह सुवर्ण-सा हृदय गलाकर जीवन-संध्या...
Human sitting on flower

चंदन गंध

चंदन है तो महकेगा ही आग में हो या आँचल में छिप न सकेगा रंग प्यार का चाहे लाख छिपाओ तुम, कहने वाले सब कह देंगे कितना ही भरमाओ...
Narendra Sharma

चलो हम दोनों चलें वहाँ

भरे जंगल के बीचो बीच न कोई आया गया जहाँ, चलो हम दोनों चलें वहाँ। जहाँ दिन-भर महुआ पर झूल रात को चू पड़ते हैं फूल, बाँस के झुरमुट...
Shivmangal Singh Suman

आभार

जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस उस राही को धन्यवाद। जीवन अस्थिर अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल कहीं, सीमित पग-डग, लम्बी मंज़िल तय कर लेना कुछ...
Bhagwat Rawat

हमने चलती चक्की देखी

हमने चलती चक्की देखी हमने सब कुछ पिसते देखा हमने चूल्हे बुझते देखे हमने सब कुछ जलते देखा हमने देखी पीर पराई हमने देखी फटी बिवाई हमने सब कुछ रखा...
Bird flying in the sky

काट के अपने पर जाते हैं

काट के अपने पर जाते हैं पंछी अब चलकर जाते हैं बन के क़ाबिल, अपने-अपने घर से हो बेघर जाते हैं मौत पे किसकी ये रोज़ाना लटके-लटके सर जाते...
Sahej Aziz

हिज्र

ये लफ़्ज़ उसी मौसम का है जब तुम हम रोया करते थे अपने अपने आसमानों में जब तारे सोया करते थे और गर्दिश चन्दा मामा की कुछ ज़र्रे करते...
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