Tag: Metered Verses

Ramkumar Verma

मौन करुणा

मैं तुम्हारी मौन करुणा का सहारा चाहता हूँ।जानता हूँ इस जगत में फूल की है आयु कितनी और यौवन की उभरती साँस में है वायु...
Balli Singh Cheema

तय करो किस ओर हो तुम

तय करो किस ओर हो तुम, तय करो किस ओर हो आदमी के पक्ष में हो या कि आदमख़ोर हो।ख़ुद को पसीने में भिगोना ही...
Krishna Bihari Noor

रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे

रुक गया आँख से बहता हुआ दरिया कैसे ग़म का तूफ़ाँ तो बहुत तेज़ था, ठहरा कैसेहर घड़ी तेरे ख़यालों में घिरा रहता हूँ मिलना चाहूँ...
Gopaldas Neeraj

दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया

मैंने तो चाहा बहुत कि अपने घर में रहूँ अकेला, पर— सुख ने दरवाज़ा बन्द किया, दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया।मन पर तन की साँकल...
Balli Singh Cheema

रोटी माँग रहे लोगों से

रोटी माँग रहे लोगों से किसको ख़तरा होता है? यार सुना है लाठी-चारज, हल्का-हल्का होता है।सिर फोड़ें या टाँगें तोड़ें, ये क़ानून के रखवाले, देख रहे हैं...
Sahir Ludhianvi

मैं पल दो पल का शायर हूँ

मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी हैमुझसे पहले कितने...
Ahmad Nadeem Qasmi

रेस्तोराँ

रेस्तोराँ में सजे हुए हैं कैसे-कैसे चेहरे क़ब्रों के कत्बों पर जैसे मसले-मसले सहरेइक साहिब जो सोच रहे हैं पिछले एक पहर से यूँ लगते हैं...
Majaz Lakhnavi

नहीं ये फ़िक्र कोई रहबर-ए-कामिल नहीं मिलता

नहीं ये फ़िक्र कोई रहबर-ए-कामिल नहीं मिलता कोई दुनिया में मानूस-ए-मिज़ाज-ए-दिल नहीं मिलताकभी साहिल पे रहकर शौक़ तूफ़ानों से टकराएँ कभी तूफ़ाँ में रहकर फ़िक्र है...
Night, Lonely, Alone, Road

रात सुनसान है

मेज़ चुप-चाप, घड़ी बंद, किताबें ख़ामोश अपने कमरे की उदासी पे तरस आता है मेरा कमरा जो मेरे दिल की हर इक धड़कन को साल-हा-साल से चुपचाप गिने...
Shailendra

हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में

Har Zor Zulm Ki Takkar Mein | Shailendraहर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!तुमने माँगे ठुकरायी हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा छीनी हमसे...
Majrooh Sultanpuri

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर

जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया सोज़-ए-जानाँ दिल में सोज़-ए-दीगराँ बनता गयारफ़्ता रफ़्ता मुंक़लिब होती गई रस्म-ए-चमन धीरे धीरे नग़्मा-ए-दिल भी फ़ुग़ाँ बनता गयामैं...
Faiz Ahmad Faiz

इस वक़्त तो यूँ लगता है

इस वक़्त तो यूँ लगता है, अब कुछ भी नहीं है महताब न सूरज, न अँधेरा न सवेराआँखों के दरीचों पे किसी हुस्न की चिलमन और...

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