Tag: Metered Verses
दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया
मैंने तो चाहा बहुत कि अपने घर में रहूँ अकेला, पर—
सुख ने दरवाज़ा बन्द किया, दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया।
मन पर तन की साँकल...
रोटी माँग रहे लोगों से
रोटी माँग रहे लोगों से किसको ख़तरा होता है?
यार सुना है लाठी-चारज, हल्का-हल्का होता है।
सिर फोड़ें या टाँगें तोड़ें, ये क़ानून के रखवाले,
देख रहे हैं...
मैं पल दो पल का शायर हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है
मुझसे पहले कितने...
रेस्तोराँ
रेस्तोराँ में सजे हुए हैं कैसे-कैसे चेहरे
क़ब्रों के कत्बों पर जैसे मसले-मसले सहरे
इक साहिब जो सोच रहे हैं पिछले एक पहर से
यूँ लगते हैं...
नहीं ये फ़िक्र कोई रहबर-ए-कामिल नहीं मिलता
नहीं ये फ़िक्र कोई रहबर-ए-कामिल नहीं मिलता
कोई दुनिया में मानूस-ए-मिज़ाज-ए-दिल नहीं मिलता
कभी साहिल पे रहकर शौक़ तूफ़ानों से टकराएँ
कभी तूफ़ाँ में रहकर फ़िक्र है...
रात सुनसान है
मेज़ चुप-चाप, घड़ी बंद, किताबें ख़ामोश
अपने कमरे की उदासी पे तरस आता है
मेरा कमरा जो मेरे दिल की हर इक धड़कन को
साल-हा-साल से चुपचाप गिने...
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में
Har Zor Zulm Ki Takkar Mein | Shailendra
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!
तुमने माँगे ठुकरायी हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे...
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया
सोज़-ए-जानाँ दिल में सोज़-ए-दीगराँ बनता गया
रफ़्ता रफ़्ता मुंक़लिब होती गई रस्म-ए-चमन
धीरे धीरे नग़्मा-ए-दिल भी फ़ुग़ाँ बनता गया
मैं...
इस वक़्त तो यूँ लगता है
इस वक़्त तो यूँ लगता है, अब कुछ भी नहीं है
महताब न सूरज, न अँधेरा न सवेरा
आँखों के दरीचों पे किसी हुस्न की चिलमन
और...
यह कदम्ब का पेड़
यह कदम्ब का पेड़ | Yah Kadamb Ka Ped
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥
ले...
अमीर ख़ुसरो के दोहे
अमीर ख़ुसरो के दोहे | Amir Khusro Ke Dohe
ख़ुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग।
तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग॥
ख़ुसरो...
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िन्दगी, हम दूर से पहचान लेते हैं
मेरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान...