Tag: Migrants run over by train
बस यही है पाप
पटरियों पर रोटियाँ हैं
रोटियों पर ख़ून है,
तप रही हैं हड्डियाँ,
अगला महीना जून है।
सभ्यता के जिस शिखर से
चू रहा है रक्त,
आँखें आज हैं आरक्त,
अगणित,
स्वप्न के संघर्ष...
कविताएँ – मई 2020
चार चौक सोलह
उन्होंने न जाने कितनी योनियाँ पार करके
पायी थी दुर्लभ मनुष्य देह
पर उन्हें क्या पता था कि
एक योनि से दूसरी योनि में पहुँचने के
कालान्तर से...
रोटियों पर ख़ून के छींटें हैं
रोटियों पर ख़ून के छींटें हैं
हम ने तस्वीर देखी है
कटे हुए अंगों
सर, पैर, हाथ, बीच से
दो टुकड़े हुए शरीर पर
हरी-हरी घास डाल दी गई है
इन्हीं...
रोटी की तस्वीर
यूँ तो रोटी किसी भी रूप में हो
सुन्दर लगती है
उसके पीछे की आग
चूल्हे की गन्ध और
बनाने वाले की छाप दिखायी नहीं देती
लेकिन होती हमेशा रोटी के...
बीस-बीस की बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा की रात
चीथड़े और लोथड़ों के बीच
पूरे चाँद-सी गोल रोटियों की फुलकारियाँ
उन मज़दूरों के हाथों का हुनर पेश कर रही थीं
जो अब रेलवे...