Tag: Migrants run over by train

Lockdown Migration, Labours

बस यही है पाप

पटरियों पर रोटियाँ हैं रोटियों पर ख़ून है, तप रही हैं हड्डियाँ, अगला महीना जून है। सभ्यता के जिस शिखर से चू रहा है रक्त, आँखें आज हैं आरक्त, अगणित, स्वप्न के संघर्ष...
Nitesh Vyas

कविताएँ – मई 2020

चार चौक सोलह उन्होंने न जाने कितनी योनियाँ पार करके पायी थी दुर्लभ मनुष्य देह पर उन्हें क्या पता था कि एक योनि से दूसरी योनि में पहुँचने के कालान्तर से...
Blood Spatter, Violence

रोटियों पर ख़ून के छींटें हैं

रोटियों पर ख़ून के छींटें हैं हम ने तस्वीर देखी है कटे हुए अंगों सर, पैर, हाथ, बीच से दो टुकड़े हुए शरीर पर हरी-हरी घास डाल दी गई है इन्हीं...
Shankaranand

रोटी की तस्वीर

यूँ तो रोटी किसी भी रूप में हो सुन्दर लगती है उसके पीछे की आग चूल्हे की गन्ध और बनाने वाले की छाप दिखायी नहीं देती लेकिन होती हमेशा रोटी के...
Two Faces, Closed Eyes, Abstract

बीस-बीस की बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा की रात चीथड़े और लोथड़ों के बीच पूरे चाँद-सी गोल रोटियों की फुलकारियाँ उन मज़दूरों के हाथों का हुनर पेश कर रही थीं जो अब रेलवे...
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