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दुन्या मिखाइल की कविता ‘चित्रकार बच्चा’
इराक़ी-अमेरिकी कवयित्री दुन्या मिखाइल (Dunya Mikhail) का जन्म बग़दाद में हुआ था और उन्होंने बग़दाद विश्वविधालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सद्दाम हुसैन...
एक तारा-विज्ञानी का प्रेम
उसे चाँद ख़ूबसूरत लगता है
जबकि मुझे लुभाती हैं
तारों की क़तारें
तारे मेरी रोज़ी हैं
जब अंधेरी रात में तारे खिलें
और मेरी दूरबीन के पहलू में गिरें
तो...
पूरा दुःख और आधा चाँद
पूरा दुःख और आधा चाँद
हिज्र की शब और ऐसा चाँद
दिन में वहशत बहल गई
रात हुई और निकला चाँद
किस मक़्तल से गुज़रा होगा
इतना सहमा-सहमा चाँद
यादों...
चाँद-रात
गए बरस की ईद का दिन क्या अच्छा था
चाँद को देखके उसका चेहरा देखा था
फ़ज़ा में 'कीट्स' के लहजे की नरमाहट थी
मौसम अपने रंग...
नील गगन का चाँद
वह नील गगन का चाँद उतर धरती पर आएगा,
तुम आज धरा के गीतों को फिर से मुस्काने दो।
वे गीत कि जिनसे जेठ दुपहरी भी...
सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ
सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ
सफ़ेद सायों के चेहरों से तीरगी टपके
उदास रात के बिच्छू पहाड़ चढ़ जाएँ
हवा के ज़ीने से तन्हाइयाँ...
जीवन का दृश्य
गाँव में चाँद
नीम के ऊपर से
पीपल के पत्ते जैसा
पहाड़ों के पार चमकता है,
बच्चे गेंद जैसी आँखों से
चाँद का गोल होना देखते हैं
और दादी की...
मुझसे चाँद कहा करता है
मुझसे चाँद कहा करता है।
चोट कड़ी है काल प्रबल की,
उसकी मुस्कानों से हल्की,
राजमहल कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है।
मुझसे चाँद कहा...
चाँद की मानिन्द चाँद
'Chand Ki Manind Chand', Hindi Kavita by Rahul Boyal
समय के शरीर पर लुढ़कती साँझ में
मुलायम ख़्वाहिशों सी चहलक़दमी करते हुए
लिए हाथ में प्याला चाय...
हम अपने घोंसलों में चाँद रखते हैं
'Hum Apne Ghonslon Mein Chand Rakhte Hain', a poem by Deepak Jaiswal
चाँद हर बार सफ़ेद नहीं दिखता
उनींदी आँखों से बहुत बार वह लाल दिखता...
चाँद
'Chand', a poem by Amar Dalpura
शाम के झुरमुट में
पहाड़ की पीठ को चूमता हुआ सूरज
चले जाता है धरती की नींद में
वो आती है
हरे-भरे खेतों...
सरकारी नीलामी
'Sarkari Neelami'
poem by Vishal Singh
बाबा ने उनके हिस्से की,
दुनिया पे ताना मेरा घर
घर के ऊपर से जाते थे
रोंदू बादल भी ख़ुश होकर
घर की यारी थी...