Tag: Motivational
इति नहीं होती
धीर धरना
राग वन से रूठकर जाना नहीं पाँखी।
फिर नए अँखुए उगेंगे
इन कबन्धों में,
यह धुँआ कल बदल सकता
है सुगन्धों में,
आस करना
कुछ कटे सिर देख घबराना...
तू ज़िन्दा है, तू ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर
तू ज़िन्दा है, तो ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!
सुबह औ' शाम के रंगे हुए गगन...
दोपहर का भोजन
दुःख
दुःख को सहना
कुछ मत कहना—
बहुत पुरानी बात है।
दुःख सहना, पर
सब कुछ कहना
यही समय की बात है।
दुःख को बना के एक कबूतर
बिल्ली को अर्पित कर...
सचमुच बहुत देर तक सोए
सचमुच बहुत देर तक सोए!
इधर यहाँ से उधर वहाँ तक
धूप चढ़ गई कहाँ-कहाँ तक
लोगों ने सींची फुलवारी
तुमने अब तक बीज न बोए!
सचमुच बहुत देर...
वो सुब्ह कभी तो आएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी
इन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुःख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा
जब...
जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी
इस सदन में मैं अकेला ही दिया हूँ
मत बुझाओ!
जब मिलेगी, रोशनी मुझसे मिलेगी!
पाँव तो मेरे थकन ने छील डाले
अब विचारों के सहारे चल रहा...
विश्व चाहे या न चाहे
विश्व चाहे या न चाहे,
लोग समझें या न समझें,
आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे।
हर नज़र ग़मगीन है, हर होठ ने...
जो बीत गई सो बात गई
'Jo Beet Gayi So Baat Gayi'
by Harivanshrai Bachchan
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो...
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
'Toofano Ki Or Ghuma Do', a poem by Shivmangal Singh Suman
तूफ़ानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार!
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का...
ज़िन्दगी
'Zindagi', a poem by Jaiprakash Leelwan
बन्द कमरों की
सीलन के भीतर
क्रोध के कोरस का नाम
ज़िन्दगी नहीं होता।
घर से दफ़्तर
और दफ़्तर से घर के
बीच का सफ़र...
तू है कुशल
'Tu Hai Kushal', a poem by Rahul Boyal
यदि समय की पीठ पर
घाव है तो घाव ही
तू मान पर
इस घाव को क़रार दे
बढ़ा अपने दक्ष...
मौत से ठन गई
'Maut Se Than Gayi', a poem by Atal Bihari Vajpayee
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न...