Tag: Mukut Bihari Saroj
सचमुच बहुत देर तक सोए
सचमुच बहुत देर तक सोए!इधर यहाँ से उधर वहाँ तक
धूप चढ़ गई कहाँ-कहाँ तक
लोगों ने सींची फुलवारी
तुमने अब तक बीज न बोए!सचमुच बहुत देर...
गणित का गीत
हो गया है हर इकाई का विभाजन
राम जाने गिनतियाँ कैसे बढ़ेंगी?
अंक अपने आप में पूरा नहीं है
इसलिए कैसे दहाई को पुकारे
मान, अवमूल्यित हुआ है...