Tag: Mustafa Zaidi
आख़िरी बार मिलो
आख़िरी बार मिलो ऐसे कि जलते हुए दिल
राख हो जाएँ कोई और तक़ाज़ा न करें
चाक-ए-वादा न सिले, ज़ख़्म-ए-तमन्ना न खिले
साँस हमवार रहे, शमा की लौ...
रात सुनसान है
मेज़ चुप-चाप, घड़ी बंद, किताबें ख़ामोश
अपने कमरे की उदासी पे तरस आता है
मेरा कमरा जो मेरे दिल की हर इक धड़कन को
साल-हा-साल से चुपचाप गिने...