Tag: Newspaper

Old man reading newspaper

शुभम नेगी की कविताएँ

अख़बार दरवाज़ा खोलने से पहले ही रेंगकर घुसती है अंदर सुराख़ में से बाहर दुबके अख़बार पर बिछी ख़ून की बू अख़बार वाला छोड़ जाता है आजकल मेरे दरवाज़े पर साढ़े चार रुपये...
Venu Gopal

वे हाथ होते हैं

दुश्मनों की ख़ुशी पर मुझे कुछ नहीं कहना है। दोस्तों की उदासी ही मुझसे यह कविता लिखवा रही है। जिन अँधेरे रास्तों पर सफ़र शुरू हुआ था, वे एकाएक राज-पथ...
Azra Naqvi

रिमोट

दमकते चेहरे, घनेरी ज़ुल्फ़ें ये सरसराते हवाओं जैसे लिबास, जिस्मों का बाँकपन, दिलरुबा अदाएँ ये झिलमिलाते मकान, रंगीन शहर, चमकीली कारें ये सब मनाज़िर जो राहतों के...
Gaurav Bharti

अख़बार, मानकीकरण, देवदास

Poems: Gaurav Bharti अख़बार वेंडर सुबह-सुबह हर रोज़ किवाड़ के नीचे से सरका जाता है अख़बार हाथ से छूटते हुए ज़मीं को चूमते हुए फिसलते हुए अख़बार एक जगह आकर ठहर जाता है इंतज़ार में अख़बार इश्तहार के साथ-साथ अपने...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)