Tag: nostalgia

Gyan Ranjan

अमरूद का पेड़

घर के सामने अपने आप ही उगते और फिर बढ़ते हुए एक अमरूद के पेड़ को मैं काफ़ी दिनों से देखता हूँ। केवल देखता...
Village, Farmer

गूँजे कूक प्यार की

जिस बरगद की छाँव तले रहता था मेरा गाँव वह बरगद ख़ुद घूम रहा अब नंगे-नंगे पाँव। रात-रात भर इस बरगद से क़िस्से सुनते थे गली, द्वार, बाड़े...
Girls, Kids

सईदा के घर

सईदा के घर तन्दूर पर सिकी रोटियाँ मैं रोज़ खाती प्याज़ और भुने आलू के साथ मैं और सईदा मेरी प्यारी सहेली— हम जाते गलियों से होते हुए बाज़ार...
Woman Feet

नीली बनारसी साड़ी

एक लड़की के बचपन की सबसे मधुर स्मृतियों में एक स्मृति उसकी माँ के सुन्दर-सुन्दर कपड़े और साड़ियों की स्मृति और मेरी स्मृति में...
Nirmal Gupt

पेंसिलों वाला सपना

एक अजीब-सा सपना रोज़ देखता हूँ मेरे पास है चिकने पन्नों वाली डायरी साथ हैं बेहद सलीक़े से तराशी हुई चन्द पेंसिलें जिनमें से आती कच्ची लकड़ी की गन्ध, पेन्सिलों...
Balraj Komal

लो गर्द और किताबें

सुलगते दिन हैं, तवील तन्हाइयाँ मिरे साथ लेटे-लेटे फ़ज़ा से आँखें लड़ा रही हैं मिरे दरीचे के पास सुनसान रहगुज़र है अभी-अभी एक रेला आया था गर्द का जो...
Mulberry - Usama Hameed

मलबेरी

असीरिया के बादशाह नाइनस का दिल अपने ही जनरल ओनस की बीवी सेमिरामिस पर आ गया। वह उसे पा लेना चाहता था, इसलिए उसने...
Nirmal Gupt

खोया-पाया

मुझे आज अलस्सुबह पुराने दस्तावेज़ों के बीच एक ज़र्द काग़ज़ मिला, दर्ज थी उस पर सब्ज़ रंग की आधी-अधूरी इबारत वह प्रेमपगी कविता नहीं थी, शायद या हो, क्या पता मेरा वजूद...
Nirmal Gupt

स्मृति का अस्तबल

'Smriti Ka Astbal', a poem by Nirmal Gupt स्मृति के अस्तबल में हिनहिना रहे हैं बीमार, अशक्त और उदास घोड़े अतीत की सुनहरी पन्नी में लिपटे इन घोड़ों...
Evening, Man

दस का सिक्का, मोहल्ला, वक़्त

Poems: Sudhir Sharma दस का सिक्का बहुत दिन हुए नहीं देखा दस का सिक्का... स्कूल के दरवाज़े पर खड़े होकर शांताराम के चने नहीं खाए, बहुत दिन हुए...
Usha Dashora

मेरे फ़्लैट का दरवाज़ा उदास है

'Mere Flat Ka Darwaza Udaas Hai', a poem by Usha Dashora वो अट्टालिका जो अंगद की तरह पैर जमाकर खड़ी है शहर के यकृत पर उसी में अभी-अभी मेरा...
Doors

पुराने मकान

'Purane Makaan', Hindi Kavita by Mukesh Prakash पुराने मकानों के किवाड़ मत खोलो सफ़ेद चादरों पे जमी धूल के नीचे दफ़न, तुम्हारी यादें अभी साँसें ले रही हैं... हिज़्र...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)