Tag: nostalgia
अमरूद का पेड़
घर के सामने अपने आप ही उगते और फिर बढ़ते हुए एक अमरूद के पेड़ को मैं काफ़ी दिनों से देखता हूँ। केवल देखता...
गूँजे कूक प्यार की
जिस बरगद की छाँव तले रहता था मेरा गाँव
वह बरगद ख़ुद घूम रहा अब नंगे-नंगे पाँव।
रात-रात भर इस बरगद से क़िस्से सुनते थे
गली, द्वार, बाड़े...
सईदा के घर
सईदा के घर तन्दूर पर सिकी रोटियाँ
मैं रोज़ खाती प्याज़ और भुने आलू के साथ
मैं और सईदा मेरी प्यारी सहेली—
हम जाते गलियों से होते हुए
बाज़ार...
नीली बनारसी साड़ी
एक लड़की के बचपन की सबसे मधुर स्मृतियों में एक स्मृति उसकी माँ के सुन्दर-सुन्दर कपड़े और साड़ियों की स्मृति और मेरी स्मृति में...
पेंसिलों वाला सपना
एक अजीब-सा सपना रोज़ देखता हूँ
मेरे पास है चिकने पन्नों वाली डायरी
साथ हैं बेहद सलीक़े से तराशी हुई चन्द पेंसिलें
जिनमें से आती कच्ची लकड़ी की गन्ध,
पेन्सिलों...
लो गर्द और किताबें
सुलगते दिन हैं,
तवील तन्हाइयाँ मिरे साथ लेटे-लेटे
फ़ज़ा से आँखें लड़ा रही हैं
मिरे दरीचे के पास सुनसान रहगुज़र है
अभी-अभी एक रेला आया था गर्द का
जो...
मलबेरी
असीरिया के बादशाह नाइनस का दिल अपने ही जनरल ओनस की बीवी सेमिरामिस पर आ गया। वह उसे पा लेना चाहता था, इसलिए उसने...
खोया-पाया
मुझे आज अलस्सुबह
पुराने दस्तावेज़ों के बीच
एक ज़र्द काग़ज़ मिला,
दर्ज थी उस पर
सब्ज़ रंग की आधी-अधूरी इबारत
वह प्रेमपगी कविता नहीं थी, शायद
या हो, क्या पता
मेरा वजूद...
स्मृति का अस्तबल
'Smriti Ka Astbal', a poem by Nirmal Gupt
स्मृति के अस्तबल में हिनहिना रहे हैं
बीमार, अशक्त और उदास घोड़े
अतीत की सुनहरी पन्नी में लिपटे
इन घोड़ों...
दस का सिक्का, मोहल्ला, वक़्त
Poems: Sudhir Sharma
दस का सिक्का
बहुत दिन हुए नहीं देखा दस का सिक्का...
स्कूल के दरवाज़े पर खड़े होकर शांताराम के चने नहीं खाए,
बहुत दिन हुए...
मेरे फ़्लैट का दरवाज़ा उदास है
'Mere Flat Ka Darwaza Udaas Hai', a poem by Usha Dashora
वो अट्टालिका
जो अंगद की तरह
पैर जमाकर खड़ी है
शहर के यकृत पर
उसी में अभी-अभी मेरा...
पुराने मकान
'Purane Makaan', Hindi Kavita by Mukesh Prakash
पुराने मकानों के किवाड़ मत खोलो
सफ़ेद चादरों पे जमी धूल के नीचे
दफ़न, तुम्हारी यादें अभी
साँसें ले रही हैं...
हिज़्र...