Tag: Oppressor

Manish Kumar Yadav

लगभग विशेषण हो चुका शासक

किसी अटपटी भाषा में दिए जा रहे हैं हत्याओं के लिए तर्क 'एक अहिंसा है जिसका सिक्का लिए गांधीजी हर शहर में खड़े हैं लेकिन जब भी सिक्का उछालते...
Sandhya Chourasia

संध्या चौरसिया की कविताएँ

किसी आश्वस्त बर्बर की तरह अपनी अनायास प्रवृत्तियों में मैं देश का मध्यम हिस्सा हूँ जो पाश की कविता में बनिया बनकर आता है जिसे जीना और प्यार...
Evil, Bad, Hands

शोषक रे अविचल!

शोषक रे अविचल! शोषक रे अविचल! अजेय! गर्वोन्नत प्रतिपल! लख तेरा आतंक त्रसित हो रहा धरातल! भार-वाहिनी धरा, किन्तु तुमको ले लज्जित! अरे नरक के कीट!, वासना-पंक-निमज्जित! मृत मानवता के अधरों...
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