Tag: Oriya Poem
शान्ति
'Shanti', a poem by Husain Ravi Gandhiमनुष्य बनना यद्यपि अभिशाप है
मैं मनुष्य बनूँगा।
शान्ति का प्रत्युत्तर यदि आग्नेयास्त्र है, तो
मैं शान्ति का श्वेत कबूतर बनूँगा।फूलों...
युद्ध
कुरुक्षेत्र से कुवैत तक
धृतराष्ट्रों की आँखें फूट चुकी थीं
रक्त में जल रहा था अहंकार
घायल किए बिना नहीं लौटता
कोई भी अस्त्र
एक-एक अजातशत्रु आपस में जूझ रहे...
प्रतिरूप
पास नहीं हो इसीलिए न!
कल्पना के सारे श्रेष्ठ रंग लगाकर
इतने सुन्दर दिख रहे हो आज!विरह की छेनी से ठीक से
तराश-तराशकर
तमाम अनावश्यक
असुन्दरता
काट-छाँटकर
नाप-तौलकर
मिलन की अनन्य कला...