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बीती विभावरी जाग री (पैरोडी)
"तू लम्बी ताने सोती है
बिटिया 'माँ-माँ' कह रोती है
रो-रोकर गिरा दिए उसने
आँसू अब तक दो गागरी
बीती विभावरी जाग री!"बेढब बनारसी अपनी पैरोडी कविताओं के लिए भी जाने जाते हैं.. पढ़िए जयशंकर प्रसाद की कविता पर लिखी गई उनकी पैरोडी कविता!जयशंकर प्रसाद की कविता का लिंक भी पोस्ट में है!