Tag: विभाजन
शरीफ़न
जब क़ासिम ने अपने घर का दरवाज़ा खोला तो उसे सिर्फ़ एक गोली की जलन थी जो उसकी दाहिनी पिंडली में गड़ गई थी,...
तारबंदी
जालियों के छेद
इतने बड़े तो हों ही
कि एक ओर की ज़मीन में उगी
घास का दूसरा सिरा
छेद से पार होकर
साँस ले सके
दूजी हवा में
तारों की
इतनी...
दस्तक
सुबह-सुबह इक ख़्वाब की दस्तक पर दरवाज़ा खोला, देखा
सरहद के उस पार से कुछ मेहमान आए हैं
आँखों से मानूस थे सारे
चेहरे सारे सुने-सुनाए
पाँव धोए,...
‘कितने पाकिस्तान’ – कमलेश्वर
किताब: 'कितने पाकिस्तान' - कमलेश्वर
रिव्यू: पूजा भाटिया
कमलेश्वर दारा लिखित, राजपाल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, इतिहास के गर्भ से खंगालकर निकाली गयी तमाम घटनाओं/तथ्यों को समय...
मोज़ील
सआदत हसन मंटो की कहानी 'मोज़ील' | 'Mozeel', a story by Saadat Hasan Manto
त्रिलोचन ने पहली बार, चार वर्षों में पहली बार, रात को...
नाम
'Naam', a poem by Vikas Sharma
मेरी दादी के
हाथ पर
एक नाम गुदा था...
भोली...।
हम बच्चे
जब अपने नन्हे हाथों से
उस नाम को
सहलाते थे,
दादी की आँखें
चमक उठती थीं
जैसे...
लाल हवेली
शिवानी की कहानी 'लाल हवेली' | 'Lal Haweli', a story by Shivani
ताहिरा ने पास की बर्थ पर सोये अपने पति को देखा और एक...
मलबे का मालिक
"वली, यह मस्जिद ज्यों की त्यों खड़ी है? इन लोगों ने इसका गुरुद्वारा नहीं बना दिया!"
"चुप कर, ख़सम-खाने! रोएगा, तो वह मुसलमान तुझे पकड़कर ले जाएगा! कह रही हूँ, चुप कर!"
"आजकल लाहौर का क्या हाल है? अनारकली में अब पहले जितनी रौनक होती है या नहीं? सुना है, शाहालमीगेट का बाज़ार पूरा नया बना है? कृष्णनगर में तो कोई ख़ास तब्दीली नहीं आयी? वहाँ का रिश्वतपुरा क्या वाकई रिश्वत के पैसे से बना है?... कहते हैं, पाकिस्तान में अब बुर्का बिल्कुल उड़ गया है, यह ठीक है?..."
अमृतसर आ गया है
"उसने ध्यान से अपने कपड़ों की ओर देखा, अपने दोनों हाथों की ओर देखा, फिर एक-एक करके अपने दोनों हाथों को नाक के पास ले जा कर उन्हें सूँघा, मानो जानना चाहता हो कि उसके हाथों से खून की बू तो नहीं आ रही है।"
आख़िरी तिनका
पतझड़ के दिन थे। नई फसल की बोआई शुरू हो चुकी थी। मुर्गे की पहली बाँग ने चन्दन की आँख खोल दी। वैसे भी...
मेरी माँ कहाँ
दिन के बाद उसने चाँद-सितारे देखे हैं। अब तक वह कहाँ था? नीचे, नीचे, शायद बहुत नीचे... जहाँ की खाई इनसान के खून से...
वह मर्द थी
"छिः छिः, कितनी गन्दी औरत है यह जो रोटियाँ बेल रही है। अगर औरत है तो। और मुझे शादीलाल आदमी अच्छा नहीं लगा। अपने होटल में एक तो औरत रखता है और फिर इतनी गन्दी... अरे, ये होते ही ऐसे हैं। शायद ये औरत भी इस होटल की एक तरकारी हो।"