Tag: विभाजन
शरणार्थी
1. मानव की आँख
कोटरों से गिलगिली घृणा यह झाँकती है।
मान लेते यह किसी शीत-रक्त, जड़-दृष्टि
जल-तलवासी तेंदुए के विष नेत्र हैंऔर तमजात सब जन्तुओं से
मानव...
गुलज़ार के उपन्यास ‘दो लोग’ से किताब अंश
गुलज़ार का उपन्यास 'दो लोग' विभाजन की त्रासदी के बारे में है—त्रासदी भी ऐसी कि इधर आज़ादी की बेला आने को है, और उधर...
बाय-बाय
नाम उसका फ़ातिमा था पर सब उसे फ़ातो कहते थे। बानिहाल के दर्रे के उस तरफ़ उसके बाप की पनचक्की थी जो बड़ा सादा...
किताब अंश: ‘पाकिस्तान मेल’ – खुशवंत सिंह
'पाकिस्तान मेल' भारत-विभाजन की त्रासदी पर केंद्रित सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यासकार खुशवंत सिंह का अत्यंत मूल्यवान उपन्यास है। सन् 1956 में अमेरिका के ‘ग्रोव प्रेस...
शरीफ़न
जब क़ासिम ने अपने घर का दरवाज़ा खोला तो उसे सिर्फ़ एक गोली की जलन थी जो उसकी दाहिनी पिंडली में गड़ गई थी,...
तारबंदी
जालियों के छेद
इतने बड़े तो हों ही
कि एक ओर की ज़मीन में उगी
घास का दूसरा सिरा
छेद से पार होकर
साँस ले सके
दूजी हवा मेंतारों की
इतनी...
दस्तक
सुबह-सुबह इक ख़्वाब की दस्तक पर दरवाज़ा खोला, देखा
सरहद के उस पार से कुछ मेहमान आए हैं
आँखों से मानूस थे सारे
चेहरे सारे सुने-सुनाए
पाँव धोए,...
‘कितने पाकिस्तान’ – कमलेश्वर
किताब: 'कितने पाकिस्तान' - कमलेश्वर
रिव्यू: पूजा भाटियाकमलेश्वर दारा लिखित, राजपाल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित, इतिहास के गर्भ से खंगालकर निकाली गयी तमाम घटनाओं/तथ्यों को समय...
मोज़ील
सआदत हसन मंटो की कहानी 'मोज़ील' | 'Mozeel', a story by Saadat Hasan Mantoत्रिलोचन ने पहली बार, चार वर्षों में पहली बार, रात को...
नाम
'Naam', a poem by Vikas Sharmaमेरी दादी के
हाथ पर
एक नाम गुदा था...भोली...।हम बच्चे
जब अपने नन्हे हाथों से
उस नाम को
सहलाते थे,
दादी की आँखें
चमक उठती थीं
जैसे...
लाल हवेली
शिवानी की कहानी 'लाल हवेली' | 'Lal Haweli', a story by Shivaniताहिरा ने पास की बर्थ पर सोये अपने पति को देखा और एक...
मलबे का मालिक
"वली, यह मस्जिद ज्यों की त्यों खड़ी है? इन लोगों ने इसका गुरुद्वारा नहीं बना दिया!""चुप कर, ख़सम-खाने! रोएगा, तो वह मुसलमान तुझे पकड़कर ले जाएगा! कह रही हूँ, चुप कर!""आजकल लाहौर का क्या हाल है? अनारकली में अब पहले जितनी रौनक होती है या नहीं? सुना है, शाहालमीगेट का बाज़ार पूरा नया बना है? कृष्णनगर में तो कोई ख़ास तब्दीली नहीं आयी? वहाँ का रिश्वतपुरा क्या वाकई रिश्वत के पैसे से बना है?... कहते हैं, पाकिस्तान में अब बुर्का बिल्कुल उड़ गया है, यह ठीक है?..."