Tag: poem

Trilochan

गद्य-वद्य कुछ लिखा करो

गद्य-वद्य कुछ लिखा करो। कविता में क्या है। आलोचना जगेगी। आलोचक का दरजा – मानो शेर जंगली सन्नाटे में गरजा ऐसा कुछ है। लोग सहमते हैं। पाया...
Girl Kissing a Flower

मैं कविताएँ क्यों लिखती हूँ

'Main Kavitaaein Kyon Likhti Hoon', a poem by Harshita Panchariya प्रेम को सुरक्षित रखने के प्रयास में जला देना चाहती हूँ कुछ कविताएँ ताकि हवा में प्रेम की...
Vijay Rahi

जिस तरह आती हो तुम

'Jis Tarah Aati Ho Tum', a poem by Vijay Rahi जिस तरह आती हो तुम अपने इस पागल कवि से मिलने रोज़-रोज़। जब मिलती हो, ख़ूब मिलती हो, बाथ...

गुड्डे का जन्मदिन

कहो तो! तुम और मैं कैसे तुम्हारा जन्मदिन मना लें? चलो! चाँद से कुछ गप्पे करें सितारों की महफ़िल सजा लें। बन जाएँ फिर से हम गुड्डा और गुड़िया चलो! लें...
Ramnaresh Tripathi

मामी निशा

चंदा मामा गए कचहरी, घर में रहा न कोई, मामी निशा अकेली घर में कब तक रहती सोई! चली घूमने साथ न लेकर कोई सखी-सहेली, देखी उसने...
Hand, Gone, Left, Calling, Away

जा चुके लोग

'Ja Chuke Log', a poem by Ritu Niranjan जा चुके लोग अक्सर चले जाने के बावजूद बचे रह जाते हैं जीवन में वक़्त के जिस्म पर खुरचे हुए निशानों...

कविता कैसी होती है

यहां निराला विक्षिप्त हो जाते हैं मुक्तिबोध कंगाली में मर जाते हैं जॉन एलिया खून थूकते हैं गोरख पांडे आत्महत्या कर लेते हैं सर्दी की इक रात में मजाज़...
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