Tag: Poetry of Dissent

Tasneef

ज़ुल्म के ख़िलाफ़ नज़्में

1 ये जो अंधे हुक्मरां का हुक्म है आदमी के साथ कैसा ज़ुल्म है अपने रिश्तों और ज़मीनों पर मुदाम आदमी क्यों काग़ज़ों का हो ग़ुलाम कौन सा काग़ज़...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)