Tag: Poor

Man holding train handle

ज़िन्दगी का लेखा

मैंने तेरी अलकों को नहीं अपनी उलझनों को सुलझाया है! अपने बच्चों को नहीं साहबज़ादों को दुलराया है! तब तुम्हें मुझसे शिकायत होना वाजिब है जब साहब को भी शिकायत...
Hungry, Poor

ग़ायब लोग

हम अक्षर थे मिटा दिए गए क्योंकि लोकतांत्रिक दस्तावेज़ विकास की ओर बढ़ने के लिए हमारा बोझ नहीं सह सकते थे हम तब लिखे गए जब जन गण मन लिखा...
Aarsi Prasad Singh

बैलगाड़ी

जा रही है गाँव की कच्ची सड़क से लड़खड़ाती बैलगाड़ी! एक बदक़िस्मत डगर से, दूर, वैभवमय नगर से, एक ही रफ़्तार धीमी, एक ही निर्जीव स्वर से, लादकर आलस्य, जड़ता...
Gopal Singh Nepali

प्रार्थना बनी रहीं

रोटियाँ ग़रीब की, प्रार्थना बनी रहीं! एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का राज है ग़रीब का,...
Helping the Poor, Begging

और कितनी सुविधा लेगें

हर त्रासदी में ये पेट खोलकर बैठ जाते हैं बहुत बड़ा होता है इनका पेट इतना बड़ा कि ख़रबों के ख़र्च से बना स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी भी...
jasvir tyagi

जसवीर त्यागी की कविताएँ

प्रकृति सबक सिखाती है घर के बाहर वक़्त-बेवक़्त घूम रहा था विनाश का वायरस आदमी की तलाश में आदमी अपने ही पिंजरे में क़ैद था प्रकृति, पशु-पक्षी उन्मुक्त होकर हँस रहे थे परिवर्तन का पहिया घूमता...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)