Tag: Premchand
पुस्तक अंश: प्रेमचंद : कलम का सिपाही
भारत के महान साहित्यकार, हिन्दी लेखक और उर्दू उपन्यासकार प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में कई रचनाएँ...
क़ानूनी कुमार
मि. क़ानूनी कुमार, एम.एल.ए. अपने ऑफ़िस में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल...
मेरी माँ ने मुझे प्रेमचन्द का भक्त बनाया
एक छाया-चित्र है। प्रेमचन्द और प्रसाद दोनों खड़े हैं। प्रसाद गम्भीर सस्मित। प्रेमचन्द के होंठों पर अस्फुट हास्य। विभिन्न विचित्र प्रकृति के दो धुरन्धर...
सवा सेर गेहूँ
किसी गाँव में शंकर नाम का एक कुरमी किसान रहता था। सीधा-सादा ग़रीब आदमी था, अपने काम-से-काम, न किसी के लेने में, न किसी...
प्रेमचंद की प्रेम-लीला का उत्तर
कई साल हुए नागरी प्रचारिणी पत्रिका में किसी मराठी लेख के आधार पर एक हिन्दी लेख प्रकाशित हुआ। मुझे वह लेख बहुत अच्छा मालूम...
किताब अंश: ‘कलम का सिपाही’ (प्रेमचंद की जीवनी) – अमृतराय
'कलम का सिपाही' प्रेमचन्द की पहली मुकम्मल जीवनी है जो जीवनी साहित्य में क्लासिक का दर्जा पा चुकी है। अमृतराय की लिखी इस किताब...
प्रेमचंद का जैनेन्द्र को पत्र – 1, सितम्बर, 1933
जागरण कार्यालय, 1 सितम्बर, 1933
प्रिय जैनेन्द्र,
तुम्हारा पत्र मिला। हाँ भाई, तुम्हारी कहानी बहुत देर में पहुँची। अब सितम्बर में तुम्हारी और 'अज्ञेय' जी की,...
प्रेम की होली
यह कहानी यहाँ सुनें:
https://youtu.be/RAyDLimOq3k
गंगी का सत्रहवाँ साल था, पर वह तीन साल से विधवा थी, और जानती थी कि मैं विधवा हूँ, मेरे लिए...
साहित्य का आधार
साहित्य का सम्बन्ध बुद्धि से उतना नहीं, जितना भावों से है। बुद्धि के लिए दर्शन है, विज्ञान है, नीति है। भावों के लिए कविता है,...
साहित्य में बुद्धिवाद
साहित्य-सम्मेलन की साहित्य-परिषद् में श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र ने इस विषय पर एक सारगर्भित भाषण दिया, जिसमें विचार करने की बहुत-कुछ सामग्री है। उसमें अधिकांश...
विषम समस्या
मेरे दफ़्तर में चार चपरासी थे, उनमें एक का नाम ग़रीब था। बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहनेवाला, घुड़कियाँ खाकर...
प्रेमचंद – ‘गोदान’
प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' से उद्धरण | Quotes from Godan by Premchand
"लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन...