Tag: Protest
लोहा
आप लोहे की कार का आनन्द लेते हो
मेरे पास लोहे की बन्दूक़ है
मैंने लोहा खाया है
आप लोहे की बात करते हो
लोहा जब पिघलता है
तो भाप नहीं...
अपनी जंग रहेगी
जब तक चंद लुटेरे इस धरती को घेरे हैं
अपनी जंग रहेगी
अहल-ए-हवस ने जब तक अपने दाम बिखेरे हैं
अपनी जंग रहेगी
मग़रिब के चेहरे पर यारो...
रोटी माँग रहे लोगों से
रोटी माँग रहे लोगों से किसको ख़तरा होता है?
यार सुना है लाठी-चारज, हल्का-हल्का होता है।
सिर फोड़ें या टाँगें तोड़ें, ये क़ानून के रखवाले,
देख रहे हैं...
कायरों का गीत
शोर करोगे! मारेंगे
बात कहोगे! मारेंगे
सच बोलोगे! मारेंगे
साथ चलोगे! मारेंगे
ये जंगल तानाशाहों का
इसमें तुम आवाज़ करोगे? मारेंगे...
जो जैसा चलता जाता है, चलने दो
दीन-धरम के नाम...
जन-प्रतिरोध
जब भी किसी
ग़रीब आदमी का अपमान करती है
ये तुम्हारी दुनिया,
तो मेरा जी करता है
कि मैं इस दुनिया को
उठाकर पटक दूँ!
इसका गूदा-गूदा छींट जाए।
मज़ाक़ बना...
प्रश्न
मोड़ोगे मन
या सावन के घन मोड़ोगे?
मोड़ोगे तन
या शासन के फन मोड़ोगे?
बोलो साथी! क्या मोड़ोगे?
तोड़ोगे तृण
या धीरज धारण तोड़ोगे?
तोड़ोगे प्रण
या भीषण शोषण तोड़ोगे?
बोलो साथी! क्या...
कौन आज़ाद हुआ
कौन आज़ाद हुआ?
किसके माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी?
मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का
मदर-ए-हिन्द के चेहरे पे उदासी है वही
ख़ंजर आज़ाद हैं...
मांडणे और नारे
जब तक आदमी के हाथ और आँखें हैं
आँखों में धरती, आकाश, फूल, पत्ती हैं
दूध, दही, नगाड़े, बेटे, बेटी हैं
गाड़ी, बैल, मोर, चिड़ियाँ, चाँद, तारे...
हड़ताल का गीत
आज हम हड़ताल पर हैं।
हड्डियों से जो चिपककर रह गई, उस खाल पर हैं।
यह ख़बर सबको सुना दो
इश्तहारों में लगा दो
हम लड़ाई पर खड़े...
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में
Har Zor Zulm Ki Takkar Mein | Shailendra
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!
तुमने माँगे ठुकरायी हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे...
वो घर तक आएँगे
सरेंडर-मार्च कराया जाए लोकतंत्र
माई लार्ड न्याय की शर्त लगाएँ
जब वर्दी हाँक रही संविधान
लहराती मुठ्ठियाँ नहीं चलेंगी।
चश्मे नहीं उतरने चाहिए
आँख नहीं मींची जाएँ
इस रात का अवसान...
अंकित कुमार भगत की कविताएँ
Poems: Ankit Kumar Bhagat
प्रतिरोध
काले गुलाब
और स्याह परछाइयों के बाद,
कालिख पुती दीवारें
इस दौर की विशेषताएँ हैं।
अँधेरा गहराता ही जाता है,
कि असहमतियों को आज़माने की
इजाज़त नहीं यहाँ।
विद्रोह...