Tag: Quotes
कृष्णा सोबती – ‘मित्रो मरजानी’
कृष्णा सोबती के उपन्यास 'मित्रो मरजानी' से उद्धरण | Quotes from 'Mitro Marjani', a Hindi novel by Krishna Sobti
"इस देह से जितना जस-रस ले...
विनोद कुमार शुक्ल – ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’
विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' से उद्धरण | Quotes from 'Deewar Mein Ek Khidki Rehti Thi', by Vinod...
अमृता प्रीतम – ‘अक्षरों के साये’
अमृता प्रीतम की आत्मकथा 'अक्षरों के साये' से उद्धरण | Quotes from 'Aksharon Ke Saaye', by Amrita Pritam
"यह मेरा और साहिर का रिश्ता, रिश्तों...
पेरुमल मुरुगन – ‘पूनाची’
पेरुमल मुरुगन के उपन्यास 'पूनाची' से उद्धरण | Quotes by Perumal Murugan from 'Poonachi'
"मैं इंसानों के बारे में लिखने के प्रति आशंकित रहता हूँ;...
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के उद्धरण | APJ Abdul Kalam Quotes in Hindi
"आप किस रूप में याद रखे जाना चाहेंगे? आपको अपने जीवन को कैसा...
प्रियम्वद – ‘धर्मस्थल’
प्रियम्वद की किताब 'धर्मस्थल' से उद्धरण | Hindi Quotes by 'Dharmasthal', a book by Priyamvad
संकलन: विजय शर्मा
"रचना के संसार में जब तुम कुछ नया...
राहुल सांकृत्यायन – ‘घुमक्कड़ शास्त्र’
राहुल सांकृत्यायन की किताब 'घुमक्कड़ शास्त्र' से उद्धरण | Quotes from Ghumakkad Shastra, a book by Rahul Sankrityayan
चयन: पुनीत कुसुम
"वैसे तो गीता को बहुत...
प्रेमचंद – ‘गोदान’
प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' से उद्धरण | Quotes from Godan by Premchand
"लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन...
धर्मवीर भारती – ‘गुनाहों का देवता’
धर्मवीर भारती के उपन्यास 'गुनाहों का देवता' से उद्धरण | Quotes from 'Gunahon Ka Devta', a novel by Dharmvir Bharti
"सचमुच लगता है कि प्रयाग...
शरणकुमार लिम्बाले – ‘अक्करमाशी’
शरणकुमार लिम्बाले की आत्मकथा 'अक्करमाशी' से उद्धरण | Quotes from 'Akkarmashi' , an autobiography by Sharan Kumar Limbale
"आत्मकथा का अर्थ जो जीवन जीया है,...
अरुंधति रॉय – ‘मामूली चीज़ों का देवता’ [The God of Small Things]
अरुंधति रॉय के हिन्दी उद्धरण | Quotes in Hindi by Arundhati Roy
किताब: 'मामूली चीज़ों का देवता'
लेखिका: अरुंधति रॉय
अनुवाद: नीलाभ
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
चयन: पुनीत कुसुम
"उसके...
तुलसीराम: ‘मुर्दहिया’ व ‘मणिकर्णिका’
मुर्दहिया
"हम अंजुरी मुँह से लगाए झुके रहते, और वे बहुत ऊपर से चबूतरे पर खड़े-खड़े पानी गिराते। वे पानी बहुत कम पिलाते थे किंतु...