Tag: Raghuvir Sahay
चेहरा
चेहरा कितनी विकट चीज़ है
जैसे-जैसे उम्र गुज़रती है वह या तो
एक दोस्त होता जाता है या तो दुश्मन
देखो, सब चेहरों को देखो
पहली बार जिन्हें...
अरे, अब ऐसी कविता लिखो
अरे, अब ऐसी कविता लिखो
कि जिसमें छन्द घूमकर आए
घुमड़ता जाए देह में दर्द
कहीं पर एक बार ठहराए
कि जिसमें एक प्रतिज्ञा करूँ
वही दो बार शब्द बन...
कला क्या है
कितना दुःख वह शरीर जज़्ब कर सकता है?
वह शरीर जिसके भीतर ख़ुद शरीर की टूटन हो
मन की कितनी कचोट-कुण्ठा के अर्थ समझ उनके द्वारा अमीर...
रास्ता इधर से है
वह एक वाहियात दिन था। सब कुछ शांत था—यहाँ, इस कमरे में जहाँ किसी के चलने की भी आवाज़ नहीं सुनायी पड़ सकती थी,...
मौन
'स्थगित कर दूँ क्या अभी अभिव्यक्ति का आग्रह, न बोलूँ, चुप रहूँ क्या?'
क्यों? कहिए, न बोलूँ, चुप रहूँ क्या? किंतु आप कहें कि 'धन्यवाद,...
स्वाधीन व्यक्ति
इस अन्धेरे में कभी-कभी
दीख जाती है किसी की कविता
चौंध में दिखता है एक और कोई कवि
हम तीन कम-से-कम हैं, साथ हैं।
आज हम
बात कम, काम...
प्रेम नयी मनःस्थिति
दुःखी-दुःखी हम दोनों
आओ बैठें
अलग-अलग देखें, आँखों में नहीं
हाथ में हाथ न लें
हम लिए हाथ में हाथ न बैठे रह जाएँ
बहुत दिनों बाद आज इतवार मिला...
हमने यह देखा
यह क्या है जो इस जूते में गड़ता है
यह कील कहाँ से रोज़ निकल आती है
इस दुःख को रोज़ समझना क्यों पड़ता है
फिर कल...
आत्महत्या के विरुद्ध
समय आ गया है जब तब कहता है सम्पादकीय
हर बार दस बरस पहले मैं कह चुका होता हूँ कि समय आ गया है।
एक ग़रीबी...
कविता बन जाती है
हम लोग रोज़ खाते और जागते और सोते हैं
कोई कविता नहीं मिलती है
जैसे ही हमारा रिश्ता किसी से भी साफ़ होने लगता है
कविता बन...
आज का पाठ है
आज का पाठ है—मृत्यु के साधारण तथ्य
अनेक हैं; मुख्य लिखो
वह सब को एक-सी नहीं आती
न सब मृत्यु के बाद एक हो जाते हैं
वैसे ही...
अभी जीना है
मुझे अभी जीना है कविता के लिए नहीं
कुछ करने के लिए कि मेरी संतान मौत कुत्ते की न मरे
मैं आत्महत्या के पक्ष में नहीं...