Tag: Raghuvir Sahay

Raghuvir Sahay

चेहरा

चेहरा कितनी विकट चीज़ है जैसे-जैसे उम्र गुज़रती है वह या तो एक दोस्त होता जाता है या तो दुश्मन देखो, सब चेहरों को देखो पहली बार जिन्हें...
Raghuvir Sahay

अरे, अब ऐसी कविता लिखो

अरे, अब ऐसी कविता लिखो कि जिसमें छन्द घूमकर आए घुमड़ता जाए देह में दर्द कहीं पर एक बार ठहराए कि जिसमें एक प्रतिज्ञा करूँ वही दो बार शब्द बन...
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कला क्या है

कितना दुःख वह शरीर जज़्ब कर सकता है? वह शरीर जिसके भीतर ख़ुद शरीर की टूटन हो मन की कितनी कचोट-कुण्ठा के अर्थ समझ उनके द्वारा अमीर...
Raghuvir Sahay

रास्ता इधर से है

वह एक वाहियात दिन था। सब कुछ शांत था—यहाँ, इस कमरे में जहाँ किसी के चलने की भी आवाज़ नहीं सुनायी पड़ सकती थी,...
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मौन

'स्थगित कर दूँ क्या अभी अभिव्यक्ति का आग्रह, न बोलूँ, चुप रहूँ क्या?' क्यों? कहिए, न बोलूँ, चुप रहूँ क्या? किंतु आप कहें कि 'धन्यवाद,...
Raghuvir Sahay

स्वाधीन व्यक्ति

इस अन्धेरे में कभी-कभी दीख जाती है किसी की कविता चौंध में दिखता है एक और कोई कवि हम तीन कम-से-कम हैं, साथ हैं। आज हम बात कम, काम...
Raghuvir Sahay

प्रेम नयी मनःस्थिति

दुःखी-दुःखी हम दोनों आओ बैठें अलग-अलग देखें, आँखों में नहीं हाथ में हाथ न लें हम लिए हाथ में हाथ न बैठे रह जाएँ बहुत दिनों बाद आज इतवार मिला...
Raghuvir Sahay

हमने यह देखा

यह क्या है जो इस जूते में गड़ता है यह कील कहाँ से रोज़ निकल आती है इस दुःख को रोज़ समझना क्यों पड़ता है फिर कल...
Raghuvir Sahay

आत्महत्या के विरुद्ध

समय आ गया है जब तब कहता है सम्पादकीय हर बार दस बरस पहले मैं कह चुका होता हूँ कि समय आ गया है। एक ग़रीबी...
Raghuvir Sahay

कविता बन जाती है

हम लोग रोज़ खाते और जागते और सोते हैं कोई कविता नहीं मिलती है जैसे ही हमारा रिश्ता किसी से भी साफ़ होने लगता है कविता बन...
Raghuvir Sahay

आज का पाठ है

आज का पाठ है—मृत्यु के साधारण तथ्य अनेक हैं; मुख्य लिखो वह सब को एक-सी नहीं आती न सब मृत्यु के बाद एक हो जाते हैं वैसे ही...
Raghuvir Sahay

अभी जीना है

मुझे अभी जीना है कविता के लिए नहीं कुछ करने के लिए कि मेरी संतान मौत कुत्ते की न मरे मैं आत्महत्या के पक्ष में नहीं...
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