Tag: बारिश

Khoyi Cheezon Ka Shok - Savita Singh

‘खोई चीज़ों का शोक’ से कविताएँ

सविता सिंह का नया कविता संग्रह 'खोई चीज़ों का शोक' सघन भावनात्मक आवेश से युक्त कविताओं की एक शृंखला है जो अत्यन्त निजी होते...
Mithileshwar

बारिश की रात

आरा शहर। भादों का महीना। कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात। ज़ोरों की बारिश। हमेशा की भाँति बिजली का गुल हो जाना। रात के गहराने...
Naresh Saxena

इस बारिश में

जिसके पास चली गई मेरी ज़मीन उसी के पास अब मेरी बारिश भी चली गई अब जो घिरती हैं काली घटाएँ उसी के लिए घिरती हैं कूकती हैं कोयलें...
Rain

ईश्वरीय चुम्बन

बारिश की भारी बूँदों से भयभीत झोपड़ी भीतर भागती है, एक मात्र तिरपाल के छेदों को ढकना उसकी आपातकालीन व्यवस्था है महल झरोखों से मुख निकाल आँखें मूँदकर बूँद-बूँद चूसता है यह उसका...
Rain

मॉनसून

आठ आषाढ़ गया मृगशिरा ने लिखा ख़त आर्द्रा को वो आना चाहती है हमारे खेत, हमारे घर उसे चाहिए मंज़ूरी हमसे हम तपे हुए हैं, पिघलते हैं, परेशान हैं पर नहीं...
Anamika

बरसात का मतलब है

बरसात का मतलब है हो जाना दूर और अकेला। उतरती है साँझ तक बारिश— लुढ़कती-पुढ़कती, दूरस्थ— सागर-तट या ऐसी चपटी जगहों से चढ़ जाती है वापस जन्नत तक जो इसका घर...
Clouds

मेघ न आए

मेघ न आए। सूखे खेत किसानिन सूखे, सूखे ताल-तलैयाँ, भुइयाँ पर की कुइयाँ सूखी, तलफ़े ढोर-चिरैयाँ। आसमान में सूरज धधके, दुर्दिन झाँक रहे। बीज फोड़कर निकले अंकुर ऊपर ताक रहे। मेघ न आए। सावन...
Prabhat Milind

बारिश के दिनों में नदी का स्मृति-गीत

'Barish Ke Dino Mein Nadi Ka Smriti Geet', Hindi Kavita by Prabhat Milind 1 स्वप्न में बहती है चौड़े पाट की एक नदी बेआवाज़ याद का कंकड़...
Spring, Flowers

अंतरा

बूँदें उतरी हैं धरा पर, मन पनीले हो गए हैं शुष्क सी हिय वीथियों के कोर गीले हो गए हैं तरु लताऐं दूब फसलें मुस्कुराती हैं...
Leaf, Rain, Night

तन्हाई की पहली बारिश

रात भर बरसता रहा पानी मैं अँधेरा किए अपनी कुर्सी में खिड़की से ज़रा दूर हटकर बैठा रहा बारिश कभी कम, कभी तेज़ बरसती रही, पेड़ों की चीख़ कभी दूर, कभी...
Rain

बारिश के बाद

'Barish Ke Baad', a poem by Vijay Rahi बारिश के बाद बबूल के पेड़ के नीचे से अपनी बकरियों को हाँक वह मुझसे मिलने आई। दूर नीम के पेड़...

बारिश

बारिश! पुनः प्रतीक्षा की बेला के पार तुम लौट आई हो असीम शांति धारण किए हुए... तुम्हारे बरसने के शोर में समाया है समूची प्रकृति का सन्नाटा... तुम्हीं तो रचती हो सम्पूर्ण...
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