Tag: बारिश
‘खोई चीज़ों का शोक’ से कविताएँ
सविता सिंह का नया कविता संग्रह 'खोई चीज़ों का शोक' सघन भावनात्मक आवेश से युक्त कविताओं की एक शृंखला है जो अत्यन्त निजी होते...
बारिश की रात
आरा शहर। भादों का महीना। कृष्ण पक्ष की अँधेरी रात। ज़ोरों की बारिश। हमेशा की भाँति बिजली का गुल हो जाना। रात के गहराने...
इस बारिश में
जिसके पास चली गई मेरी ज़मीन
उसी के पास अब मेरी
बारिश भी चली गई
अब जो घिरती हैं काली घटाएँ
उसी के लिए घिरती हैं
कूकती हैं कोयलें...
ईश्वरीय चुम्बन
बारिश की भारी बूँदों से
भयभीत झोपड़ी भीतर भागती है,
एक मात्र तिरपाल के छेदों को ढकना
उसकी आपातकालीन व्यवस्था है
महल झरोखों से मुख निकाल
आँखें मूँदकर
बूँद-बूँद चूसता है
यह उसका...
मॉनसून
आठ आषाढ़ गया
मृगशिरा ने लिखा ख़त
आर्द्रा को
वो आना चाहती है
हमारे खेत, हमारे घर
उसे चाहिए मंज़ूरी हमसे
हम तपे हुए हैं, पिघलते हैं, परेशान हैं
पर नहीं...
बरसात का मतलब है
बरसात का मतलब है
हो जाना दूर और अकेला।
उतरती है साँझ तक बारिश—
लुढ़कती-पुढ़कती, दूरस्थ—
सागर-तट या ऐसी चपटी जगहों से
चढ़ जाती है वापस जन्नत तक
जो इसका घर...
मेघ न आए
मेघ न आए।
सूखे खेत किसानिन सूखे,
सूखे ताल-तलैयाँ,
भुइयाँ पर की कुइयाँ सूखी,
तलफ़े ढोर-चिरैयाँ।
आसमान में सूरज धधके,
दुर्दिन झाँक रहे।
बीज फोड़कर निकले अंकुर
ऊपर ताक रहे।
मेघ न आए।
सावन...
बारिश के दिनों में नदी का स्मृति-गीत
'Barish Ke Dino Mein Nadi Ka Smriti Geet', Hindi Kavita by Prabhat Milind
1
स्वप्न में बहती है चौड़े पाट की एक नदी
बेआवाज़ याद का कंकड़...
अंतरा
बूँदें उतरी हैं धरा पर, मन पनीले हो गए हैं
शुष्क सी हिय वीथियों के कोर गीले हो गए हैं
तरु लताऐं दूब फसलें मुस्कुराती हैं...
तन्हाई की पहली बारिश
रात भर बरसता रहा पानी
मैं अँधेरा किए
अपनी कुर्सी में
खिड़की से ज़रा दूर हटकर
बैठा रहा
बारिश कभी कम, कभी तेज़
बरसती रही, पेड़ों की चीख़
कभी दूर, कभी...
बारिश के बाद
'Barish Ke Baad', a poem by Vijay Rahi
बारिश के बाद
बबूल के पेड़ के नीचे से
अपनी बकरियों को हाँक
वह मुझसे मिलने आई।
दूर नीम के पेड़...
बारिश
बारिश!
पुनः प्रतीक्षा की बेला के पार
तुम लौट आई हो
असीम शांति धारण किए हुए...
तुम्हारे बरसने के शोर में
समाया है
समूची प्रकृति का सन्नाटा...
तुम्हीं तो रचती हो
सम्पूर्ण...