Tag: Religious Hatred
चौथा हादसा
मेरा तबादला जैसलमेर हो गया था और वहाँ की फ़िज़ा में ऐसा धीरज, इतनी उदासी, ऐसा इत्मीनान, इस क़दर अनमनापन, ऐसा 'नेचा' है कि...
वह लड़की
सवा चार बज चुके थे लेकिन धूप में वही तमाज़त थी जो दोपहर को बारह बजे के क़रीब थी। उसने बालकनी में आकर बाहर...
ग़रीबों की बस्ती
यह है कलकत्ता का बहूबाज़ार, जिसके एक ओर सरकारी अफ़सरों तथा महाजनों के विशाल भवन हैं और दूसरी ओर पीछे उसी अटपट सड़क के...
नन्ही बच्चियाँ
'Nanhi Bachchiyaan', a poem by Nirmal Guptदो नन्ही बच्चियाँ घर की चौखट पर बैठीं
पत्थर उछालती, खेलती हैं कोई खेल
वे कहती हैं इसे- गिट्टक!
इसमें न...
गाँव-देश
'Gaon Desh', a story by Amit Tiwaryजब से रामा बाबा फ़ौज से रिटायर हुए थे, यानि कि लगभग बीस साल पहले, तब से गाँव...
आग
'Aag', a poem by Poonam Sonchhatraआग... बेहद शक्तिशाली है
जला सकती है शहर के शहर
फूँक सकती है जंगल के जंगलआग... नहीं जानती
सजीव-निर्जीव का भेदवह नहीं...
सियासत
'Siyasat', a poem by Shekhar Azamgarhiवादों की सिगरेट जलाकर
बहुमत का धुआँ उड़ा
मुद्दों की राख उड़ाता चला
नफ़रत के निकोटिन का आदीफेफड़े में झूठ जैसे क्षयरोग
खाँसता,...
साक्ष्य
'Saakshya', a poem by Harshita Panchariyaजाते-जाते उसने कहा था,
नरभक्षी जानवर हो सकते हैं
पर मनुष्य कदापि नहीं,जानवर और मनुष्य में
चार पैर और पूँछ के सिवा
समय...
दंगा
'Danga', poems by Gorakh Pandey1आओ भाई बेचू, आओ
आओ भाई अशरफ़, आओ
मिल-जुल करके छुरा चलाओ
मालिक रोज़गार देता है
पेट काट-काटकर छुरा मँगाओ
फिर मालिक की दुआ मनाओ
अपना-अपना धरम...
पार्टीशन
"आप क्या खाक हिस्ट्री पढ़ाते हैं? कह रहे हैं पार्टीशन हुआ था! हुआ था नहीं, हो रहा है, जारी है..."
पोशाक
अच्छे नहीं लगते ये
पोशाक अब मुझे...एक अलग ही धब्बे हैं इन पर...जाति-धर्म के रिमार्क से भरे पोशाक
गरीबी-अमीरी का भेद जताते पोशाक
पोशाक जो चिपक गये...
राख
खुद को एक दूसरे के ऊपर
प्रतिस्थापित करने के उद्योग में
उन्मादी भीड़-समूह ने
फेंके एक-दूसरे के ऊपर अनगिनत पत्थर
जमकर बरसाई गईं गोलियां
पार की गईं हैवानियत की...