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श्रीविलास सिंह की कविताएँ
सड़कें कहीं नहीं जातीं
सड़कें कहीं नहीं जातीं
वे बस करती हैं
दूरियों के बीच सेतु का काम,
दो बिंदुओं को जोड़तीं
रेखाओं की तरह,
फिर भी वे पहुँचा देती...
हक़ दो
फूल को हक़ दो—वह हवा को प्यार करे
ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे
सिहरे, काँपे, उभरे
और कभी किसी एक अँखुए की आहट पर
पंखुड़ी-पंखुड़ी...
कविताएँ: फ़रवरी 2021
तुम्हारे साथ थोड़ा और मनुष्य हुआ मैं
तुम्हारे साथ
तुम्हारा शहर
अपना-सा लगा
तुम्हारे साथ
मैंने जाना—
कि शहर को जानना हो तो
शहर में बहती नदी को जानना चाहिए
नदी की...
सड़क की छाती पर कोलतार
सड़क की छाती पर कोलतार बिछा हुआ है। उस पर मज़दूरों के जत्थे की पदचाप है। इस दृश्य के उस पार उनके दुख-दर्द हैं।...
लॉली रोड
'मालगुडी की कहानियाँ' से
बातूनीराम ने कहना शुरू किया :
बहुत सालों तक मालगुडी के लोगों को पता ही न था कि यहाँ कोई म्युनिसपैलिटी भी...
दो फ़र्लांग लम्बी सड़क
Do Farlaang Lambi Sadak, a story by Krishan Chander
कचहरियों से लेकर लॉ कॉलेज तक बस यही कोई दो फ़र्लांग लम्बी सड़क होगी। हर रोज़...
मैं तुम्हें भूलने के पथ पर हूँ
मैं तुम्हें भूलने के पथ पर हूँ
मुझे परवाह नहीं यदि भूल जाऊँ
अपनी लिखी सारी पंक्तियाँ
मैं लगातार चलती जा रही हूँ
मेरे पीछे उठा मानसून भी...
रास्ता
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/ldYv667Tmbs
बगुले उड़े जा रहे थे
नीचे चल रहे थे हम तीन जन
तीन जन शहर से आए हुए
क्वार की तँबियाई धूप में
नहाए हुए...