Tag: Sandeep Nirbhay

Woman playing with kids

तब वे कवि हो जाते हैं

जब बच्चे लम्बी साँस लेकर मारते हैं किलकारियाँ तब गौरैया की तरह उड़ता है माँ का मन जब बच्चों की कोमल हथेलियाँ छूती हैं मिट्टी तब बन जाते हैं...
Tamboora

गाँव की खूँटी पर

मेरे गाँव के धनाराम मेघवाल को जिस उम्र में जाना चाहिए था स्कूल करने चाहिए थे बाबा साहब के सपने पूरे उस उम्र में उसने की थी...
Sandeep Nirbhay

मुसलमानों की गली

आज वह शहर की उस गली में गया जहाँ जाने से लोग अक्सर कतराते हैं पान की गुमटी में बैठी एक बुढ़िया पढ़ रही है उर्दू की...
Sandeep Nirbhay

जिस दिशा में मेरा भोला गाँव है

क्या बारिश के दिनों धोरों पर गड्डमड्ड होते हैं बच्चे क्या औरतों के ओढ़नों से झाँकता है गाँव क्या बुज़ुर्गों की आँखों में बचा है काजल क्या स्लेट...
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