Tag: Sandeep Pareek Nirbhay
गाँव की खूँटी पर
मेरे गाँव के धनाराम मेघवाल को जिस उम्र में
जाना चाहिए था स्कूल
करने चाहिए थे बाबा साहब के सपने पूरे
उस उम्र में उसने की थी...
चिलम में चिंगारी और चरखे पर सूत
मेरे बच्चो! अपना ख़याल रखना
आधुनिकता की कुल्हाड़ी
काट न दे तुम्हारी जड़ें
जैसे मोबाइलों ने
लोक-कथाओं और बातों के पीछे
लगने वाले हँकारों को काट दिया है जड़ों सहितवर्तमान...
जुहार करती हुईं
पहले उसने कहा—
भई! मैं
कविताएँ सुन-सुनकर बड़ा हुआ हूँहमारे लड़ दादा कवि थे
हमारे पड़ दादा कवि थे
हमारे दादा महाकवि थे
पिता जी अनेकों पुरस्कारों से नवाज़े...