Tag: Sanskrit Poem

विवशता

जब जब मैंने, धरती पर, सनी धूल में, शोकालीन लता को चाहा- फिर से डालना बाँहों में वृक्ष की, तभी आँधी के झौंके से धूल भरी- आँखें हो गयीं लाल। थोड़ा...
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