Tag: Save Trees

Bird

कौतुक-कथा

धूप चाहती थी, बारिश चाहती थी, चाहते थे ठेकेदार कि यह बेशक़ीमती पेड़ सूख जाए चोर, अपराधी, तस्कर, हत्यारे, मंत्री के रिश्तेदार फ़िल्म ऐक्टर, पुरोहित, वे सब जो...
Mudit Shrivastava

पेड़

1 जितनी बारिश मुझ पर बरसी, उतना ही पानी सहेजे रखा जितना भी पानी जड़ों से खींचा, उतना ही बादलों को दिया जितना भी दे पाया बादलों को. उतनी ही बारिश तुम पर भी बरसी सहेजा गया और...
Usha Dashora

मैंने कभी चिड़िया नहीं देखी

'Maine Kabhi Chidiya Nahi Dekhi', a poem by Usha Dashora अबकी बार जो आँख की पलक का बाल टूटे उल्टी मुठ्ठी पर रख माँगना विश कि तुम्हारे मोबाइल की...
Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

विकास की क़ीमत

'Vikas Ki Qeemat', a poem by Rachana वो कह रहे हैं कि हम विकसित हो रहे हैं बढ़ रहे हैं आगे चढ़ रहे हैं सीढ़ियाँ सभ्यता की दिन...
Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

कटते वन

'Katte Van', a poem by Preeti Karn किसी दिन रूठ जाएगी कविता जब कट जाऐंगे सड़क के दोनों ओर लगे वृक्ष। छाँव को तरसते पथिक निहारेंगे याचना के अग्नि पथ तप्त...
Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

मैं पहाड़ होना चाहता हूँ

'Main Pahad Hona Chahta Hoon', a poem by Vishal Andhare हाँ, मैं पहाड़ होना चाहता हूँ मेरे शरीर से उग आएँ वो बरगद, पीपल, साग और बढ़ते रहें...

पेड़ों नें छिपाकर रखी तुम्हारे लिए छाँव

पेड़ों नें छिपाकर रखी तुम्हारे लिए छाँव अपनी जड़ों में दबाकर रखी मिट्टी बुलाया बादल और बारिशों को सहेजे रखा पानी अपनी नसों में दिए तुम्हें रंग तितलियाँ, परिन्दें घोंसलें...
Kashinath Singh

जंगलजातकम्

"हे भद्र, हमारे पूर्वजों और मनुष्यों का बड़ा ही अंतरंग संबंध रहा है। उनके लिए हम अपने पुष्प, अपने बीच छिपी सारी संपदा, कंद-मूल, फल, पशु-पक्षी सब कुछ निछावर कर चुके हैं और आज भी करने के लिए प्रस्तुत हैं। विश्वास करें, शुरू से ही कुछ ऐसा नाता रहा है कि हमें भी उनके बिना खास अच्छा नहीं लगता। जवाब में उन्होंने भी हमें भरपूर प्यार दिया है। लेकिन आप? ...हमें संदेह है कि आप मनुष्य हैं!"
Tree, Leaves, Forest, Jungle

झुलसे हुए पेड़

एक पेड़ गिराकर हर बार मृत्यु की एक नयी परिभाषा गढ़ी जाती है तुम्हारी छोड़ी गयी साँसों पर ही ज़िन्दा है जो उसके काट दिये जाने से उम्र...
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