Tag: Secularism
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र
स्वघोषित उद्देश्यों को
प्रतीक मान
मन चाहे कपड़ों से निर्मित ध्वज
दूर आसमान की ऊँचाइयों में—
फहराने भर से
लोकतंत्र की जड़ें
भला कैसे हरी रहेंगी?
तुम शायद नहीं जानते
भरे बादल को
पेट...
लगभग जैसा लगभग
'Lagbhag Jaisa Lagbhag', a satire by Nirmal Gupt
मैं गाड़ी की चाभी कई बार घुमा चुका हूँ। पर वह स्टार्ट नहीं हो रही। ’घू घू’...
मोहब्बत
कृष्ण आए कि दीं भर भर के वहदत के ख़ुमिस्ताँ से
शराब-ए-मा'रिफ़त का रूह-परवर जाम हिन्दू को
कृष्ण आए और उस बातिल-रुबा मक़्सद के साथ आए
कि...