Tag: विरह / जुदाई
आख़िरी बार मिलो
आख़िरी बार मिलो ऐसे कि जलते हुए दिल
राख हो जाएँ कोई और तक़ाज़ा न करें
चाक-ए-वादा न सिले, ज़ख़्म-ए-तमन्ना न खिले
साँस हमवार रहे, शमा की लौ...
बंजारा
मैं बंजारा
वक़्त के कितने शहरों से गुज़रा हूँ
लेकिन
वक़्त के इस इक शहर से जाते-जाते मुड़ के देख रहा हूँ
सोच रहा हूँ
तुमसे मेरा ये नाता...
अलग-साथ समय
उसका समय
मेरे समय से अलग है—
जैसे उसका बचपन, उसकी गुड़ियाँ-चिड़ियाँ
यौवन आने की उसकी पहली सलज्ज पहचान अलग है।
उसकी आयु
उसके एकान्त में उसका प्रस्फुटन,
उसकी इच्छाओं...
मुझसे पहले
मुझसे पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा, उसने
शायद अब भी तेरा ग़म दिल से लगा रक्खा हो
एक बेनाम-सी उम्मीद पे अब भी शायद
अपने ख़्वाबों के...
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
आज की शब तो किसी तौर गुज़र जाएगी
रात गहरी है मगर चाँद चमकता है अभी
मेरे माथे पे तेरा प्यार दमकता है अभी
मेरी साँसों में तेरा लम्स...
आमादगी
एक-इक ईंट गिरी पड़ी है
सब दीवारें काँप रही हैं
अन-थक कोशिशें मेमारों की
सर को थामे हाँफ रही हैं
मोटे-मोटे शहतीरों का
रेशा-रेशा छूट गया है
भारी-भारी जामिद पत्थर
एक-इक करके...
भूल पाने की लड़ाई
उसे भूलने की लड़ाई
लड़ता रहता हूँ
यह लड़ाई भी
दूसरी कठिन लड़ाइयों जैसी है
दुर्गम पथ जाते हैं उस ओर
उसके साथ गुज़ारे
दिनों के भीतर से
उठती आती है...
अक्टूबर
यह अक्टूबर फिर से बीतने को है
साल-दर-साल इस महीने के साथ
तुम बीत जाती हो
एक बार पूरा बीतकर भी
फिर वहीं से शुरू हो जाता है...
विदा
'अभी जिया नहीं' से
विदा का शब्दों से निकलकर
जब स्मृतियों में अस्तित्व हो जाता है
दूर होना किसी किताब का बेमानी शब्द-सा रह जाता है
किसी का...
इस वक़्त तो यूँ लगता है
इस वक़्त तो यूँ लगता है, अब कुछ भी नहीं है
महताब न सूरज, न अँधेरा न सवेरा
आँखों के दरीचों पे किसी हुस्न की चिलमन
और...
ये बातें झूठी बातें हैं
ये बातें झूठी बातें हैं, ये लोगों ने फैलायी हैं
तुम इंशा जी का नाम न लो क्या इंशा जी सौदाई हैं
हैं लाखों रोग ज़माने में,...
तुम मुझे ढूँढते रहे
तुम मुझे ढूँढते रहे
और मैं तुम्हें
इस छुपन-छुपाई में
हम ये ही भूल गए
हम किसे ढूँढ रहे थे
एक बार हम रास्ते में मिले थे
लेकिन तुमने मुझे...