Tag: क्वीअर (Queer)
मैं इस बात से भी कम्फ़र्टेबल हूँ कि मुझे नहीं पता
पुस्तक अंश: लोग जो मुझमें रह गए
लेखिका: अनुराधा बेनीवाल
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
मकान नहीं था वह, उसके हर कोने में घर की गमक थी। हल्के रंगों...
उसके शब्दकोश से मैं ग़ायब हूँ
मेरी भाषा मेरी माँ की तरह ही
मुझसे अनजान है
वह मेरा नाम नहीं जानती
उसके शब्दकोश से मैं ग़ायब हूँ
मेरे नाम के अभाव से,
परेशान
वह बिलकुल माँ...
साक्षात्कार
दो लड़कियों का प्रेम
धरने का पर्यायवाची था
आलिंगन में चिपकी उनकी देहों के मध्य
तैनात था
पृथ्वी के एक गोलार्द्ध का अंधकार
वे जहाँ गईं
उनका प्रेम रिसा
समाज की...
किताब अंश: ‘परियों के बीच’ – रूथ वनिता
रूथ वनिता का उपन्यास 'परियों के बीच' एक ऐसे कोमल अहसास और रिश्ते का संसार हमारे सामने उजागर करता है जिसका वजूद हमेशा से...
मर्दानगी
पहला नियम तो ये था कि औरत रहे औरत
फिर औरतों को जन्म देने से बचे औरत
जाने से पहले अक़्ल-ए-मर्द ने कहा ये भी—
मर्दों की...
प्रतीक्षा
बहुत बार एक ही अवस्था से गुज़र चुकने पर लोग उसके अभ्यस्त हो जाते हैं। लेकिन गीता के साथ ऐसा नहीं है, और प्रतीक्षा...
एक लड़की को देखा तो कैसा लगा?
दो लोग एक दूसरे के प्यार में पड़ते हैं, इस राह में उनके सामने कुछ कठिनाइयाँ आती हैं, मगर आखिरकार वे उन कठिनाइयों को...
समलैंगिक
जब भी सोचा
अपनी किसी कविता में
तुम्हें लिखूँ
तुम्हारी और मेरी भिन्नता
क़लम और काग़ज़ के बीच
एक बाधा बन खड़ी रही
कोई भी विचार
जो ख़ुद को
तुम-सा सोचकर नहीं लिख...
लिहाफ
जब मैं जाड़ों में लिहाफ ओढ़ती हूँ तो पास की दीवार पर उसकी परछाई हाथी की तरह झूमती हुई मालूम होती है। और एकदम...