Tag: Shahryar

Shaharyar

आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ

'Aandhiyaan Aati Thi Lekin Kabhi Aisa Na Hua', a ghazal by Shahryar आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ ख़ौफ़ के मारे जुदा शाख़ से...
Light, Night, Street

रतजगों का ज़वाल

'रतजगों का ज़वाल' - शहरयार वो अँधेरी रात की चाप थी जो गुज़र गई कभी खिड़कियों पे न झुक सकी किसी रास्ते में न रुक सकी उसे जाने किस...
Hands, Prayer, Prarthana

आख़िरी दुआ

आख़िरी दुआ माँगने को हूँ आसमान पर, रात के सिवा, कुछ नहीं रहा कौन मुट्ठियाँ, रेत से भरे पानियों का रुख, शहर की तरफ़, अब नहीं रहा। कितने...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)