Tag: Shailendra
तू ज़िन्दा है, तू ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर
तू ज़िन्दा है, तो ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!सुबह औ' शाम के रंगे हुए गगन...
हर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में
Har Zor Zulm Ki Takkar Mein | Shailendraहर ज़ोर-ज़ुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है!तुमने माँगे ठुकरायी हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे...
इतिहास
खेतों में, खलिहानों में
मिल और कारख़ानों में
चल-सागर की लहरों में
इस उपजाऊ धरती के
उत्तप्त गर्भ के अन्दर
कीड़ों से रेंगा करते
वे ख़ून पसीना करते!वे अन्न-अनाज उगाते
वे...
यदि मैं कहूँ
'Yadi Main Kahoon', a poem by Shailendraयदि मैं कहूँ कि तुम बिन मानिनि
व्यर्थ ज़िन्दगी होगी मेरी,
नहीं हँसेगा चाँद हमेशा
बनी रहेगी घनी अंधेरी,
बोलो, तुम विश्वास करोगी?यदि...
पूछ रहे हो क्या अभाव है
पूछ रहे हो क्या अभाव है
तन है केवल प्राण कहाँ है?
डूबा-डूबा सा अन्तर है
यह बिखरी-सी भाव लहर है
अस्फुट मेरे स्वर हैं लेकिन
मेरे जीवन के...
तुम्हारी मुस्कुराहट के असंख्य गुलाब
महामानव
मेरे देश की धरती पर
तुम लम्बे और मज़बूत डग भरते हुए आए
और अचानक चले भी गए!लगभग एक सदी पलक मारते गुज़र गई
जिधर से भी...
नादान प्रेमिका से
तुमको अपनी नादानी पर
जीवन भर पछताना होगा!
मैं तो मन को समझा लूँगा
यह सोच कि पूजा था पत्थर
पर तुम अपने रूठे मन को
बोलो तो, क्या...