Tag: Shrikant Verma

Shrikant Verma

सूर्य के लिए

गहरे अँधेरे में, मद्धिम आलोक का वृत्त खींचती हुई बैठी हो तुम! चूल्हे की राख-से सपने सब शेष हुए। बच्चों की सिसकियाँ भीतों पर चढ़ती छिपकलियों सी बिछल गईं। बाज़ारों के सौदे जैसे जीवन के...
Shrikant Verma

वह मेरी नियति थी

कई बार मैं उससे ऊबा और नहीं—जानता—हूँ—किस ओर चला गया। कई बार मैंने संकल्प किया। कई बार मैंने अपने को विश्वास दिलाने की कोशिश की— हम में से हरेक सम्पूर्ण है। कई बार मैंने...
Shrikant Verma

एक मुर्दे का बयान

मैं एक अदृश्य दुनिया में, न जाने क्या कुछ कर रहा हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है— न मेरी कविताएँ हैं, न मेरे पाठक हैं न...
Shrikant Verma

हस्तक्षेप

कोई छींकता तक नहीं इस डर से कि मगध की शांति भंग न हो जाए, मगध को बनाए रखना है तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए मगध है, तो शांति...
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एक और ढंग

भागकर अकेलेपन से अपने तुम में मैं गया। सुविधा के कई वर्ष तुमने व्यतीत किए। कैसे? कुछ स्मरण नहीं। मैं और तुम! अपनी दिनचर्या के पृष्ठ पर अंकित थे एक संयुक्ताक्षर! क्या कहूँ! लिपि...
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मन की चिड़िया

वह चिड़िया जो मेरे आँगन में चिल्लायी मेरे सब पिछले जन्मों की संगवारिनी-सी इस घर आयी; मैं उसका उपकार चुकाऊँ किन धानों से! हर गुलाब को जिसने मेरे...
Shrikant Verma

जलसाघर

यही सोचते हुए गुज़र रहा हूँ मैं कि गुज़र गयी बग़ल से गोली दनाक से। राहजनी हो या क्रान्ति? जो भी हो, मुझको गुज़रना ही रहा है शेष। देश नक़्शे में देखता...

समाधि-लेख

'Samadhi Lekh', a poem by Shrikant Verma हवा में झूल रही है एक डाल : कुछ चिड़ियाँ कुछ और चिड़ियों से पूछती हैं हाल एक स्त्री आईने के...
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माया दर्पण

देर से उठकर छत पर सर धोती खड़ी हुई है देखते ही देखते बड़ी हुई है मेरी प्रतिभा लड़ते-झगड़ते मैं आ पहुँचा हूँ उखड़ते-उखड़ते भी मैंने रोप ही दिए पैर बैर मुझे लेना था पता नहीं कब क्या लिया...
Shrikant Verma

तीसरा रास्ता

मगध में शोर है कि मगध में शासक नहीं रहे जो थे वे मदिरा, प्रमाद और आलस्य के कारण इस लायक नहीं रहे कि उन्हें हम मगध का शासक कह...

बूढ़ा पुल

मैं हूँ इस नदिया का बूढ़ा पुल मुझ में से हहराता गुज़र गया कितना जल! लेकिन मैं माथे पर यात्राएँ बोहे इस रेती में गड़ा रहा। मुझ पर से...

मगध के लोग

मगध के लोग मृतकों की हड्डियाँ चुन रहे हैं कौन-सी अशोक की हैं? और चन्द्रगुप्त की? नहीं, नहीं ये बिम्बिसार की नहीं हो सकतीं अजातशत्रु की हैं, कहते हैं मगध के लोग और...
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