Tag: Sindhi Kavita
कौन है
कौन है
जो बन्दूक की नली से
गुलाब को घायल कर रहा है?कौन है
जो बन्सरी की चोट से
किसी का सर फोड़ रहा है?कौन है
जो बाल-मन्दिर की...
चौराहे पर घर
अनुवाद: श्याम जयसिंघाणीकल तक मेरा घर
एक चौराहे पर था
पर आज सवेरे
घर के बाहर
लठधर चौकीदार की जगह
बन्दूकधारी जवान तैनात था
और चौराहा गुम था।रात भर में...
कुछ लघु काव्य
रूपान्तर: नामदेव1एकलव्य की
गुरु-दक्षिणा:
लटका दो— सर
द्रोणाचार्य का
युगों तक!2दर्द ने
मेरा सीना चीरकर
मौत को टाल दिया!3सिन्धु!
तेरे सीने पर
छोड़े हैं पद-चिह्न
अपनी तहज़ीब के!4सूर्य को जब
हथेली से न ढाँक...